…और उसके बाद उमेश यादव हमेशा के लिए बदल गए
उमेश यादव का कहना है कि जब 20 वर्ष की उम्र में फर्स्ट क्लास क्रिकेट में उन्होंने आगाज किया था तो उन्हें लाल रंग की SG टेस्ट गेंद से खेलने का अंदाजा नहीं था, लेकिन...
कैंडी: उमेश यादव का कहना है कि जब 20 वर्ष की उम्र में फर्स्ट क्लास क्रिकेट में उन्होंने आगाज किया था तो उन्हें लाल रंग की SG टेस्ट गेंद से खेलने का अंदाजा नहीं था, लेकिन भारत के इस प्रमुख तेज गेंदबाज ने गुरुवार को कहा कि वह शुरू से ही जानते थे कि अपनी रफ्तार हासिल करने की क्षमता से उच्च स्तर पर आगे बढ़ने में मदद मिलेगी। अपने अंतर्राष्ट्रीय डेब्यू के 7 साल बाद भारत के मुख्य तेज गेंदबाज को लगता है कि वह अंतत: अपनी काबिलियत के मुताबिक गेंदबाजी कर रहे हैं।
‘20 साल की उम्र तक लेदर बॉल से नहीं खेला था’
अभी तक 33 टेस्ट और 70 वनडे खेल चुके यादव ने शनिवार से कैंडी में श्रीलंका के खिलाफ शुरू होने वाले तीसरे टेस्ट से पहले bcci.tv से कहा, ‘आप बचपन से क्रिकेट खेल रहे हों तो आपको खेल के बारे में काफी चीजें पता चल जाती हैं। लेकिन अगर आपको अचानक से कुछ अलग चीज करने को कहा जाए तो आपके लिए मुश्किल हो सकती है।’ टेस्ट में 92 और वनडे में 98 विकेट हासिल कर चुके इस गेंदबाज ने कहा, ‘मैंने टेनिस और रबड़ की गेंद से खेलना शुरू किया और जब तक मैं 20 साल का नहीं हो गया तब तक मैंने क्रिकेट में आमतौर पर इस्तेमाल की जानी वाली गेंद नहीं पकड़ी थी। एक तेज गेंदबाज के लिए यह काफी देर से हुआ था। इसलिए जब ऐसा हुआ तो मुझे नहीं पता था कि इस गेंद से क्या करूं।’
‘कोचों ने कहा लेंथ पर ध्यान दो’
और इसके साथ गेंदबाजी करने को समझने में उन्हें करीब 2 साल लग गए। उन्होंने कहा, ‘मैं नहीं जानता था कि गेंद को कहां पिच करूं, पहले 2 वर्षों में मैं यह नहीं समझ सका कि कब गेंद बाहर जाएगी और कब यह अंदर या फिर सीधी जाएगी। तब मेरे कोचों ने मेरी मदद की। उन्होंने मुझे बताया कि अगर आपको गेंद पर नियंत्रण बनाने में मुश्किल हो रही है तो यह बिलकुल सामान्य सी बात है। अभी केवल अपनी लेंथ पर ध्यान दो। इसके बाद मैंने अपने ऐक्शन पर काम करना शुरू किया और मुझे पता चला कि ऐक्शन में बाएं हाथ की भूमिका अहम होती है। इसके बाद से उमेश यादव हमेशा के लिये बदल गया।’
‘मैं शुरू से जानता था कि रफ्तार मेरी मदद करेगी’
नागपुर में जन्मे यादव ने अपने शुरुआती दिनों को याद करते हुए कहा, ‘मैं शुरू से ही जानता था कि मेरी रफ्तार मेरी मदद करेगी और मेरी पहचान बनेगी।’ पिछले 12 महीने के अपने प्रदर्शन से यादव ने उन आलोचकों को चुप कर दिया है जो उनकी लाइन एवं लेंथ को लेकर कई बार आलोचनाएं करते रहे थे। इतनी आलोचनाओं के बावजूद इस 29 वर्षीय गेंदबाज ने अपनी रफ्तार से समझौता नहीं किया और अपना सर्वश्रेष्ठ करने के लिए प्रतिबद्ध रहे। उन्होंने कहा, ‘मैं हमेशा ही तेज गेंदबाजी करना चाहता था। जैसे-जैसे मैं बड़ा हुआ, मैंने तेज गेंदबाजी के बारे में काफी चीजें सीखीं। मैं जिस जगह से आता हूं, वह तेज गेंदबाजों को पैदा करने के लिए मशहूर नहीं है।’
...और उमेश को मिल गया मौका
यादव ने कहा, ‘मैं जानता था कि ऐसे कई गेंदबाज थे जो 130-135 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गेंदबाजी करते थे। मैं जानता था कि अगर आप हर गेंद 140 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से करेंगे तभी आप कुछ अलग हो सकते हैं और आपको मौका मिल सकता है।’ उन्होंने मई 2010 में जिम्बाब्वे के खिलाफ एक वनडे से भारतीय टीम में करियर शुरू किया। उन्होंने कहा, ‘जब मैं शुरू में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेलने आया तो रफ्तार बनाए रखना आसान था लेकिन जैसे-जैसे मैंने खेलना जारी रखा तो मैंने फिटनेस बनाए रखने के लिए काफी चीजें सीखीं और यह भी कि मैच के बाद कैसे उबरा जाए। अगर आप ऐसा नहीं करेंगे तो आप बतौर तेज गेंदबाज नहीं बने रह सकते।’