टीम इंडिया के दक्षिण अफ्रीकी दौरे के लेकर काफी नाराजगी जताई जा रही थी. दिग्गज़ों का मानना है कि टीम को अफ्रीकी कंडिशन के साथ तालमेल बिठाने का वक्त नहीं मिला. लेकिन खबरों के मुताबिक बीसीसीआई तो खिलाड़ियों को 15 दिन पहले अफ्रीका भेजना चाहती थी लेकिन कप्तान विराट कोहली, चीफ़ कोच रवि शास्त्री ने इसे तवज्जो नहीं दी.
केपटाउन टेस्ट में शर्मनाक हार के बाद टीम इंडिया में भूचाल आया हुआ है. खबरें है कि द. अफ्रीका दौरे से पहले बीसीसीआई ने भारतीय टीम मैनेजमेंट के सामने एक प्रस्ताव रखा था. बोर्ड ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ सीरीज शुरू होने से करीब 2 हफ्ते पहले कोच और कप्तान को प्रस्ताव भेजा था. ये प्रस्ताव बोर्ड के अधिकारियों और क्रिकेट प्रशासकीय कमेटी ने मिलकर तैयार किया था. प्रस्ताव के तहत बोर्ड ने टीम इंडिया के उन टेस्ट खिलाड़ियों को डेढ़ हफ्ता पहले द. अफ्रीका पहले भेजने की बात कही था जो श्रीलंका सिरीज़ के दौरान टीम के हिस्सा नहीं थे. उस समय मुरली विजय, चेतेश्वर पुजारा, रिद्धिमान साहा, ईशांत शर्मा, उमेश यादव, अश्विन, जडेजा और अजिंक्य रहाणे श्रीलंका टीम के खिलाफ वनडे टीम का हिस्सा भी नहीं थे. ये सभी खिलाड़ी द. अफ्रीका पहुंचकर वहां के माहौल में अपने आप को ढाल सकते थे.
लेकिन इस प्रस्ताव पर टीम मैनेजमेंट के कान पर जूं तक नहीं रेंगी. नतीजा केपटाउन टेस्ट में टीम इंडिया की शर्मनाक हार. केपटाउन में पंड्या को छोड़ दे तो सभी बल्लेबाज फ्लॉप रहे थे. ये टेस्ट इंडिया 72 रन से हारी और सभी बल्लेबाज़ फ़्लॉप रहे. इसमें दो राय नहीं कि अगर टीम इंडिया का मैनेजमेंट बोर्ड के प्रस्ताव को मान लेता, तो ना सिर्फ सीरीज़ में इसका फायदा होता बल्कि टीम की ऐसे स्थिति आज नहीं होती. पूर्व सलामी बल्लेबाज़ वीरेंद्र सहवाग का भी मानना है कि अगर टीम इंडिया पहले पहुंचकर अभ्यास मैच खेलती तो ये हाल नहीं होता. अब उसके लिए सिरीज़ जीतना बहुत मुश्किल है.
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