कानपुर। भारतीय क्रिकेट टीम के मुख्य कोच राहुल द्रविड़ ने सोमवार को यहां कहा कि किसी और से ज्यादा टेस्ट उपकप्तान अजिंक्य रहाणे खुद बड़ा स्कोर खड़ा कर लय हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं और उनके लिए यह सिर्फ एक पारी की बात है। नियमित कप्तान विराट कोहली की गैरमौजूदगी में टीम की कमान संभाल रहे रहाणे ने न्यूजीलैंड के खिलाफ यहां ड्रॉ टेस्ट में 35 और चार रन बनाये। इस साल 12 टेस्ट मैचों में उनका औसत 20 से भी कम का है।
द्रविड़ से जब पूछा गया कि क्या रहाणे की लय टीम के लिए चिंता का सबब है तो उन्होंने कहा, ‘‘इसके लिए ज्यादा चिंतित होने की जरुरत नहीं है। जाहिर है कि आप चाहेंगे कि अजिंक्य आपके लिए अधिक रन बनाये, वह खुद भी ऐसा ही चाहेंगे।’’
उन्होंने कहा,‘‘वह एक प्रतिभाशाली खिलाड़ी हैं और उन्होंने अतीत में भारत के लिए अच्छा प्रदर्शन किया है। वह उन लोगों में से एक है जिनके पास कौशल और अनुभव है। यह बस एक मैच की बात है, वह इसे जानते है और हम भी समझते है।’’
मुंबई में खेले जाने वाले अगले टेस्ट मैच में कप्तान कोहली की वापसी होगी और ऐसे में क्या रहाणे को अंतिम 11 में जगह देने के लिए मैन ऑफ द मैच श्रेयस अय्यर को बाहर बैठाया जाएगा?
द्रविड़ ने कहा, ‘‘हमने तय नहीं किया है कि हमारी अंतिम एकादश क्या होगी और यह बहुत जल्दी है। कम से कम आज हमारा ध्यान इस मैच पर था। जब हम मुंबई जाएंगे तो हालात का जायजा लेंगे और लोगों की फिटनेस जांचेंगे. विराट कोहली भी साथ जुड़ेंगे, इसलिए हमें उनसे भी चर्चा करनी होगी और फिर कोई फैसला लेना होगा।’’
उन्होंने अंडर-19 क्रिकेट से पहचान बनाकर टेस्ट क्रिकेट तक सफर तय करने वाले अय्यर की तारीफ करते हुए इसे भारतीय क्रिकेट की सफलता करार दी।
उन्होंने कहा, ‘‘ यह देखना अच्छा है कि युवा खिलाड़ी सीधे पदार्पण पर अच्छा प्रदर्शन करते हैं और हमने टी20 में भी एक-दो खिलाड़ियों को देखा है जिसने शुरुआती मैचों में पहचान बनायी है।’’
पिच को लेकर कोच ने कहा, ‘‘हमने काफी संयम और संघर्ष का जज्बा दिखाया और उस अंतिम सत्र में वास्तव में कड़ी मेहनत की। पांचवें दिन पिच से मदद नहीं मिल रही थी। गेंद में हरकत नहीं हो रही थी और लंच के बाद आठ विकेट लेने का वास्तव में शानदार प्रयास था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अगर किस्मत का थोड़ा साथ मिला होता तो मैच का रुख हमारी ओर मुड़ जाता। मुझे लगता है कि खिलाड़ियों ने वास्तव में कड़ी मेहनत की।’’
द्रविड़ इस बात से आश्चर्यचकित थे कि मैच के पांचवें दिन पिच से गेंद को बेहद कम टर्न मिल रही थी और गेंद असमान हरकत नहीं कर रही थी। इससे गेंद बल्ले का किनारा नहीं ले रही थी और स्लिप तथा बल्लेबाज के आस-पास खड़े क्षेत्ररक्षकों की भूमिका सीमित हो गयी।
द्रविड़ ने कहा, ‘‘गेंद नीचे रहने के साथ धीमी आ रही थी, शायद इसमें उछाल और टर्न नहीं था। पांचवें दिन भारतीय परिस्थितियों में पिच में दरार आ जाती है लेकिन इसमें ऐसा कुछ नहीं था।’’
द्रविड़ ने कहा, ‘‘आम तौर पर भारत में पांचवें दिन स्पिनरों को मदद मिलती है, गेंद बल्ले के किनारे से टकराती है और इसके बाद आस पास के क्षेत्ररक्षकों को भूमिका निभानी होती है। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मैच के आखिरी दिन तक भी बल्ले के करीब बहुत कम कैच निकले।’’
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