Ind vs Aus ODI series 2017: वनडे में नहीं चला है भारतीय स्पिनरों का जादू
पिछली दो टेस्ट सिरीज़ में ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज़ो को नचाने वाले भारतीय स्पिनर सीमित ओवरों की क्रिकेट में ख़ास प्रभाव नहीं छोड़ पाये हैं और ऐसे में 17 सितंबर से शुरू होने वाली पांच मैचों की वनडे सिरीज़ में तेज़ गेंदबाज़ी को मिल सकती है तवज्जो।
नयी दिल्ली: पिछली दो टेस्ट सिरीज़ में ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज़ो को नचाने वाले भारतीय स्पिनर सीमित ओवरों की क्रिकेट में ख़ास प्रभाव नहीं छोड़ पाये हैं और ऐसे में पूरी संभावना है कि विराट कोहली 17 सितंबर से शुरू होने वाली पांच मैचों की वनडे सिरीज़ में तेज़ गेंदबाज़ी आक्रमण को तवज्जो दें।
ऑस्ट्रेलिया ने पिछले चार वर्षों में भारतीय सरज़मीं पर दो टेस्ट सिरीज़ खेली हैं लेकिन आफ स्पिनर रविचंद्रन, अनि और बायें हाथ के स्पिनर रविंद्र जडेजा के सामने उसके बल्लेबाज़ नाकाम रहे और भारत ने ये दोनों सिरीज़ आसानी से जीती थी। अनि ने इस बीच आठ मैचों में 50 और जडेजा ने इतने ही मैचों में 49 विकेट लिये। इन दोनों से पहले हरभजन सिंह 14 मैचों में 86 विकेट और अनिल कुंबले दस मैचों में 62 विकेट भी अपनी धरती पर ऑस्ट्रेलियाई टीम के ख़िलाफ़ ख़ासे सफल रहे हैं।
लेकिन एकदिवसीय मैचों में एकदम से कहानी बदलती रही। यही वजह है कि 2013 में अनि और जडेजा की मौजूदगी के बावजूद भारत सात मैचों की सिरीज़ बमुश्किल 3-2 से जीत पाया था। टेस्ट मैचों में कहर बरपाने वाले अनि ने उस श्रृंखला के छह मैचों में 37.22 की औसत से नौ और जडेजा ने इतने ही मैचों में 41.87 की औसत से आठ विकेट लिये थे। लेग स्पिनर अमित मिश्रा ने भी तब एक मैच खेला था जिसमें उन्होंने दस ओवर में 78 रन लुटाये थे और उन्हें सफलता नहीं मिली थी। इससे पहले हरभजन 22 मैचों में 54.94 की औसत से 18 विकेट और कुंबले नौ मैचों में 13 विकेट भी एकदिवसीय मैचों में आस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों को टेस्ट मैचों की तरह परेशान नहीं कर पाये थे।
इसके बरक़्स तेज़ गेंदबाज ज्यादा प्रभावी रहे। इन दोनों टीमों के बीच भारतीय सरज़मीं पर खेली गयी पिछली सिरीज़ में ही आर विनयकुमार, मोहम्मद शमी, भुवनेश्वर कुमार और इशांत शर्मा ने मिलकर 19 विकेट लिये थे। शायद यही वजह है कि भारतीय टीम प्रबंधन ने आगामी सिरीज़ के पहले तीन वनडे के लिये अपना तेज़ गेंदबाज़ी आक्रमण मज़बूत रखा है।
भारत ने इन मैचों के लिये शमी और भुवनेश्वर के अलावा उमेश यादव, जसप्रीत बुमराह और हार्दिक पंड्या के रूप में कुल पांच तेज़ गेंदबाज़ टीम में रखे हैं जबकि स्पिन विभाग में अनि और जडेजा जैसे अनुभवी गेंदबाजों के बजाय युजवेंद्र चहल, अक्षर पटेल और कुलदीप यादव जैसे युवा स्पिनरों पर भरोसा रखा है।
आंकड़े भी इसके गवाह हैं। इससे पहले ज़हीर ख़ान (19 विकेट), अजित अगरकर (17 विकेट), जवागल श्रीनाथ और कपिल देव (दोनों 12 विकेट) तथा एस श्रीसंत (11 विकेट) ने वनडे में स्पिनरों की तुलना में आस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों पर अधिक प्रभाव छोड़ा।
ऑस्ट्रेलिया की भी कमोबेश यही स्थिति है। भारत में दोनों टीमों के बीच खेली गयी पिछली वनडे सिरीज़ में उसने जेवियर डोहर्टी के रूप में एकमात्र विशेज्ञ स्पिनर टीम में रखा था जो छह मैचों में केवल दो विकेट ले पाये थे। एरॉन फिंच, ग्लेन मैक्सवेल और एडम वोजेश ने भी कुछ अवसरों पर स्पिन गेंदबाजी की लेकिन इनमें से अधिकतर की भूमिका तेज गेंदबाजों को विश्राम देने के लिये बीच में कुछ ओवर करने की रही।
ऑस्ट्रेलिया के लिये तब जेम्स फ़ॉकनर, मिशेल जानसन और क्लाइंट मैकाय ने तेज़ गेंदबाज़ी का ज़िम्मा संभाला था। इन दोनों टीमों के बीच भारतीय धरती पर खेले गये वनडे मैचों में सर्वाधिक विकेट लेने का रिकार्ड भी जानसन 31 विकेट के नाम पर दर्ज है। ऑस्ट्रेलिया आगामी सिरीज़ में भी अपने तेज़ गेंदबाज़ों फ़ॉकनर, नाथन कूल्टर नाइल, पैट कमिन्स और जोश हेज़लवुड पर ही निर्भर रहेगा। उसकी टीम में लेग स्पिनर एडम जंपा और बायें हाथ के स्पिनर एस्टन एगर के रूप में दो विशेज्ञ स्पिनर हैं। इनमें से एक को ही अंतिम एकादश में जगह मिलने की संभावना है। ज़रूरत पड़ने पर मैक्सवेल दूसरे स्पिनर की भूमिका निभा सकते हैं।
रिकार्ड के लिये बता दें कि भारत ने आस्ट्रेलिया के खिलाफ अपनी धरती पर अब तक कुल 51 वनडे मैच खेले हैं जिनमें से उसे 21 में जीत और 25 में हार मिली जबकि पांच मैचों का परिणाम नहीं निकला। जहां तक आस्ट्रेलिया का सवाल है तो उसने भारत में ओवरआल 81 वनडे खेले हैं जिनमें से 48 में उसे जीत मिली है और 28 में हार। अन्य पांच मैचों का परिणाम नहीं निकला।
इन दोनों टीमों के बीच अब तक कुल 123 वनडे मैच खेले गये हैं। इनमें से भारत ने 41 में जीत हासिल की और 72 में उसे हार का सामना करना पड़ा जबकि दस मैचों का परिणाम नहीं निकला।