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श्रीलंका में पिछले साल आज ही के दिन हुए बम धमाकों में बाल-बाल बचे थे ICC के अधिकारी

आईसीसी की भ्रष्टाचार रोधी परिषद के अधिकारी स्टीव रिचर्डसन ने पिछले साल आज ही के दिन सिनेमन ग्रैंड होटल के नौवें तल के एग्जीक्यूटिव लाउज में नाश्ता करने का फैसला किया था जिसके कारण वह श्रीलंका में ईस्टर के दौरान हुए बम धमकों से बच गए थे।

<p>श्रीलंका में पिछले...- India TV Hindi Image Source : TWITTER/ICC श्रीलंका में पिछले साल आज ही के दिन हुए बम धमाकों में बाल-बाल बचे थे ICC के अधिकारी 

नई दिल्ली। पाकिस्तान में साल 2009 में लाहौर में हुए आंतकी हमले ने पूरे खेल जगत को हिला कर रख दिया था। इस हमले में कई श्रीलंकाई खिलाड़ियों की जान बाल-बाल बची थी। ये हमला उस समय हुआ था जब श्रीलंका की क्रिकेट टीम टेस्ट  खेलने के लिए गद्दाफी स्टेडियम जा रही थी। इस हमले के बाद से पाकिस्तान में लंबे समय तक इंटरनेशनल क्रिकेट का आयोजन नहीं हो सका था। पाकिस्तान की तरह ही पिछले साल श्रीलंका में ईस्टर के दिन आंतकी हमला हुआ था जिसमें सैंकड़ो लोगों की मौत हो गई थी। इस हमले में भी क्रिकेट से जुड़े एक बड़े अधिकारी स्टीव रिचर्डसन की जान जाते-जाते बची थी। 

आईसीसी की भ्रष्टाचार रोधी परिषद के अधिकारी स्टीव रिचर्डसन ने पिछले साल आज ही के दिन सिनेमन ग्रैंड होटल के नौवें तल के एग्जीक्यूटिव लाउज में नाश्ता करने का फैसला किया था जिसके कारण वह श्रीलंका में ईस्टर के दौरान हुए बम धमकों से बच गए थे। श्रीलंका क्रिकेट से जुड़े भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिए रिचर्डसन अपने साथियों के साथ श्रीलंका में थे और कोलंबो के होटल के नौवें तल पर रह रहे थे। यह होटल उन छह स्थानों में से एक था जहां सिलसिलेवार बम धमाकों में सैकड़ों लोग घायल हुए थे और कई लोगों की जान गई थी। 

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‘स्टफ.को. एनजेड’ ने रिचर्डसन के हवाले से कहा, ‘‘श्रीलंका क्रिकेट की लंबे समय से चली आ रही जांच के सिलसिले में हम श्रीलंका में थे। ’’ रिर्चडसन ने बताया कि वह हफ्तों से उस होटल में थे और उस दिन उन्होंने नाश्ते के लिए नीचे नहीं जाने का फैसला किया। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने नीचे नहीं जाने का फैसला किया क्योंकि लंबी लाइन के कारण काफी समय लग सकता था।’’ रिचर्डसन को उस समय कोई जानकारी नहीं थी कि एक आत्मघाती हमलावर बेसमेंट में टेपरोबेन रेस्टोरेंट में धमाका करने की तैयारी कर रहा था।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं खाना लेने उठा और टेबल की ओर वापस लौट रहा था और तभी जोरदार धमाका हुआ। इससे इमारत हिल गई। धुएं का गुब्बारा नजर आया। धमाका हमारे ठीक नीचे हुआ था। मैंने खिड़की से नीचे देखा कि तरणताल के ट्रेनर ने अपने कान हाथों से बंद किए हुए थे।’’ रिचर्डसन ने कहा, ‘‘हम इस बात को लेकर चिंतित थे कि धमाका इतना तेज था कि शायद यह पूरी इमारत को ध्वस्त कर देता। आप उम्मीद करते हैं कि इमारत नहीं ढहेगी लेकिन मेरा दिमाग 11 सितंबर की घटना को सोचने लगा था।’’ उन्होंने साथ ही बताया कि किस तरह घायलों को रिक्शा, कार या जो भी चीज उपलब्ध थी उसमें अस्पताल भेजा गया। 

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