कोलकाता: भारत के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने शुक्रवार को एक ऐसे राज पर से पर्दा उठाया जिसके बारे में उनके बेहद करीबी लोग ही जानते रहे होंगे। सौरव ने कहा कि वह राष्ट्रीय कोच बनने के लिये ‘बेताब’ थे लेकिन अंत में प्रशासक बन गये। गांगुली ने कहा, ‘आपको वही करना चाहिए जो आप कर सकते हो और नतीजे के बारे में नहीं सोचना चाहिए। आपको नहीं पता कि जिंदगी आपको कहां तक ले जाएगी। मैं 1999 में ऑस्ट्रेलिया गया था, मैं तब उप कप्तान भी नहीं था। सचिन तेंदुलकर कप्तान थे और 3 महीनों में मैं भारतीय टीम का कप्तान बन गया।’
सौरव गांगुली का यह रहस्योद्घाटन एक बड़ी बात है क्योंकि शायद ही कभी उन्होंने पहले सार्वजनिक तौर पर ऐसे अपनी इस इच्छा के बारे में बताया हो। एक कार्यक्रम के दौरान ‘प्रिंस ऑफ कोलकाता’ ने कहा, ‘जब मैं प्रशासनिक गतिविधियों से जुड़ा तो मैं राष्ट्रीय टीम का कोच बनने के लिए बेताब था। जगमोहन डालमिया ने मुझे फोन किया और कहा कि तुम 6 महीने के लिए क्यों नहीं कोशिश करते। उनका निधन हो गया और कोई भी आसपास नहीं था इसलिए मैं बंगाल क्रिकेट संघ का अध्यक्ष बन गया। लोगों को अध्यक्ष बनने में 20 साल लगते हैं।’
उन्होंने कोच ग्रेग चैपल के साथ विवादास्पद घटना के बारे में भी बात की और उन्होंने क्यों हटने का फैसला किया। उन्होंने कहा, ‘जब मैंने 2008 में संन्यास की घोषणा की थी तो सचिन लंच पर आये और उन्होंने मुझसे पूछा कि तुमने इस तरह का फैसला क्यों किया? तब मैंने कहा कि क्योंकि मैं अब और नहीं खेलना चाहता। तब उन्होंने कहा कि तुम जिस लय में खेल रहे हो, उसमें तुम्हें देखना बेहतरीन है। पिछले 3 साल तुम्हारे लिए सर्वश्रेष्ठ रहे हैं।’
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