5. गावस्कर-कपिल का क्लैश
गावस्कर ने भारतीय क्रिकेट को जहां विरेधी टीम से टक्कर लेना सिखाया वहीं कपिल देव ने जीतना सिखाया।
1982-83 के खराब पाकिस्तान दैरे के बाद 23 साल के कपिल को गावस्कर की जगह टीम का कप्तान बनाया गया। शुरु में तो दोनों दिग्गजों के बीच संबंध मधुर थे लेकिन बाद में बिगड़े।
1983 विशव कप में गावस्कर का ख़राब फ़ार्म चल रहा था और इसी वजह से उन्होंने ऑस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज़ के खिलाफ़ मैच में खुद को बाहर कर लिया था। उन्हें नहीं पता था कि ज़िम्बाब्वे के ख़िलाफ़ उन्हें खिलाया जाएगा या नहीं हालंकि दिलीप वेंगसरकर घायल हो गए थे। उन्हें अंतिम समय में एक पत्रकार से पता चला कि उन्हें टीम में रखा गया है। इस मैच में भी वह रन नहीं बना पाए।
कपिल ने इसी दौरान उनसे कह भी दिया था कि अब वह रन बनाए वर्ना......
उसी साल मद्रास टेस्ट में कपिल द्वारा पारी घोषित करने से भी गावस्कर कपिल से गुस्सा थे। गावस्कर 236 पर खेल रहे थे और तिहरा शतक लगाना चाहते थे लेकिन तभी कपिल ने पारी घोषित कर दी। गावस्कर को इसका हमेशा मलाल रहा।
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