क्रिकेट से संन्यास ले चुके युवराज सिंह को आज तक है इस बात का मलाल
युवराज सिंह को मलाल है कि इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में उनकी अच्छी मांग होने के बाद भी वह किसी भी टीम के साथ ज्यादा समय तक टिक नहीं सके।
कोलकाता। युवराज सिंह ने दो विश्व कप में भारत को चैम्पियन बनाने में अहम भूमिका निभाई है लेकिन इस वामहस्त बल्लेबाज को मलाल है कि इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में उनकी अच्छी मांग होने के बाद भी वह किसी भी टीम के साथ ज्यादा समय तक टिक नहीं सके।
पिछले महीने संन्यास की घोषणा करने वाले इस हरफनमौला ने अपने आईपीएल करियर में छह टीमों का प्रतिनिधित्व किया। उनके टीम में रहते हुए सनराइजर्स हैदराबाद (2016) और मुंबई इंडियन्स (2019) ने खिताब भी जीता।
आईपीएल 2014 में रायल चैलेंजर्स बेंगलूर (आरसीबी) ने नीलामी में कोलकाता नाइट राइडर्स (केकेआर) को पछाड़कर 14 करोड़ रूपये की बोली लगाकर उन्हें टीम के साथ जोड़ा था। 37 साल का यह खिलाड़ी हालांकि कभी किसी टीम का वैसा चेहरा नहीं बन पाया जैसे महेन्द्र सिंह धोनी चेन्नई सुपरकिंग्स और विराट कोहली रायल चैलेंजर्स बेंगलूर के लिए हैं।
भारतीय चैंबर्स ऑफ कॉमर्स की 91वीं वार्षिक आम बैठक में लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से नवाजे जाने के बाद युवराज ने कहा, ‘‘ मैं इस बारे में नहीं बता सकता कि ऐसा क्यों है लेकिन मैं किसी भी टीम के साथ लंबे समय तक नहीं रह पाया। मैं उस तरह किसी टीम के साथ नहीं जुड़ सका जहां करियर के दौरान आप एक या दो फ्रेंचाइजी टीमों से जुड़े रहते हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ मैं केकेआर से लगभग जुड़ ही गया था लेकिन अंतिम समय में आरसीबी के साथ चला गया। आरसीबी के साथ आईपीएल में मेरा सर्वश्रेष्ठ समय था। केकेआर के लिए नहीं खेलना मेरे लिए दुर्भाग्यशाली रहा।’’
सनराइजर्स हैदराबाद को 2016 में चैम्पियन बनाने में युवराज ने अहम भूमिका निभाई लेकिन इस कलात्मक बल्लेबाज के लिए इस साल नीलामी के पहले दौर में किसी ने बोली नहीं लगायी। मुंबई इंडियन्स ने उनके लिए एक करोड़ रूपये की बोली लगाकर उन्हें टीम के साथ जोड़ा।
पिछले सत्र में मुंबई के लिए खेलने वाले युवराज ने कहा, ‘‘ मुझे इससे कोई शिकायत नहीं। इन टीमों के साथ खेलना शानदार रहा। मुंबई इंडियन्स और सनराइजर्स के साथ चैम्पियन बनना अच्छा अनुभव रहा।’’
पहले टी20 विश्व कप 2007 में इंग्लैंड के स्टुअर्ट ब्राड के ओवर में छह छक्के लगाने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘ 2007 में पहले टी20 विश्व कप ने टी20 को लेकर क्रिेकेट की दुनिया को बदल दिया। ओवर की पांचवीं गेंद यार्कर थी लेकिन मैंने उसे भी सीमारेखा के पार भेज दिया। वह मेरा दिन था।’’