मेलबर्न: मेहमानों को विदा करने के बाद अब विश्व कप 2015 के सह-मेज़बान आस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड आज फ़ाइनल में एक दूसरे के आमने सामने होंगे। आस्ट्रेलिया जहां अपनी बादशाहत को बरक़रार रखने की कोशिश करेगी वहीं न्यूज़ीलैंड उम्मीद करेगी कि उसका चौंकाने वाला फ़ार्म प्रतियोगिता के आख़िरी मैच में भी जारी रहे।
न्यूज़ीलैंड जहां पहली बार विश्व कप के फ़ाइनल में पहुंची है वहीं आस्ट्रेलिया ने ये ख़िताब न सिर्फ़ सबसे ज़्यादा बार जीता है बल्कि वह 1975 के बाद से सांतवीं बार फ़ाइनल में पहुंची है।
माइकल क्लार्क फ़ाइनल के बाद एक दिवसीय क्रिकेट को अलविदा कह देंगे और आस्ट्रेलिया चाहेगी कि वह अपने कप्तान को तोहफ़े में विश्व ख़िताब के साथ शानदार विदाई दे।
आस्ट्रेलिया के लिए फ़ाइनल में खेलना कोई नया अनुभव नही है लेकिन न्यूज़ीलैंड के पास मौक़ा है एक इतिहास रचने का।
ऐसा नहीं कि न्यूज़ीलौंड टीम में विश्वस्तरीय खिलाड़ी नहीं रहे हैं लेकिन उसने 2000 में आईसीसी चैंपियन्स ट्रॉफ़ी को छोड़कर कोई बड़ी अंतरराष्ट्रीय नहीं जीती है।
न्यूज़ीलैंड छह बार सेमी फ़ाइनल तक पहुंची है लेकिन रिचर्ड हैडली, ग्लेन टर्नर,मार्टिन क्रो और स्टीफ़न फ़्लेमिंग जैसे दिग्गज खिलाड़ियों के बावजूद ख़िताब से उनकी दूरी हमेशा बनी रही।
लेकिन ब्रेंडन मैक्कुलम की कप्तानी वाली इस टीम ने लगातार आठ मैच जीतकर अपने देशवासियों की उम्मीदें जगा दी हैं।
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