Exclusive | जब पहली बार संन्यास का आया ख्याल तो कपिल देव से की बात - इरफ़ान पठान
इरफ़ान पठान ने कहा, " मेरे लिए सबसे ख़ास पल जब मुझे टीम इंडिया की कैप हासिल हुई थी। उससे ख़ास कुछ भी नहीं।"
भारतीय क्रिकेट के लिए नए साल 2020 और नए दशक का आगाज थोड़ा निराशाजनक रहा। जहां श्रीलंका के खिलाफ गुवाहटी में खेले जाने वाले दशक के पहले टी20 मैच में बारिश के चलते भीगने वाली पिच के कारण मैच को रद्द करना पड़ा। वहीं दूसरी तरफ टीम इंडिया के कभी स्विंग सरताज रहे इरफ़ान पठान ने क्रिकेट से अलविदा कह कर सभी फैंस की आखों को भिगो दिया। जिसके बाद से सोशल मीडिया में इस खिलाड़ी को उसके जीवन की दूसरी पारी के लिए सभी बधाईयाँ देने लगे व साथ ही 'द जेंटल मैंन गेम' के नायक इरफ़ान के क्रिकेट से अलविदा कहने पर सभी ने उन्हें अपने-अपने अंदाज में सोशल मीडिया पर वीडियो शेयर कर याद किया।
इरफ़ान पठान के नाम भारतीय क्रिकेट में तमाम सुनहरी यादें हैं, जिनमें फैन्स अक्सर उन्हें पाकिस्तान के खिलाफ हैट्रिक, 2007 टी20 विश्वकप के फ़ाइनल मैच में गेंदबाजी और बल्लेबाजी से कमाल, इसके अलावा उनकी लहराती गेंदों को करोड़ो भारतीय फैंस आज भी याद करते हैं, मगर इंडिया टी. वी. से ख़ास बातचीत में जब उनसे पूछा गया कि आपके अंतराष्ट्रीय क्रिकेट करियर में सबसे ख़ास पल कौन सा रहा तो इरफ़ान ने इन सबसे इतर कहा, " मेरे लिए सबसे ख़ास पल जब मुझे टीम इंडिया की कैप हासिल हुई थी। उससे ख़ास कुछ भी नहीं।"
इरफ़ान पठान ने अंतराष्ट्रीय क्रिकेट में सबसे पहले टेस्ट क्रिकेट के गलियारे में साल 2003 में कदम रखा। उस समय इरफ़ान पठान के साथ टीम में उनके साथी गेंदबाज लक्ष्मीपति बाला जी भी नए आए थे। इन दोनों ने मिलकर अपनी कहर बरपाती गेंदबाजी करते हुए भारत को पाकिस्तान में साल 2003-04 में टेस्ट व वनडे सीरीज में जीत दिलाई थी। ऐसे में अपने करियर के शुरूआती दिनों में बाला जी के साथ उनकी गेंदबाजी जोड़ी के बारे में पूछा तो इरफ़ान ने कहा, "वो मेरे काफी अच्छे दोस्त है और उनके साथ करियर की शुरुआत करके काफी मजा आया। हम दोनों का प्लान यही होता था कि मैच में बाला जी इनस्विंग करेंगे और मैं आउट स्विंग करूंगा। जिससे काफी मदद मिलती थी। अभी भी हम लोग काफी अच्छे दोस्त है जबा भी मिलते हैं काफी बातें होती हैं। मुझे उनके साथ खेलने में काफी मजा आया और हम दोनों ने क्रिकेट का लुफ्त उठाया।"
इरफ़ान पठान के अंतराष्ट्रीय करियर में चोट उनके लिए बहुत बड़ी बाधा बनी और जिसके बाद वो वापसी नहीं कर पाए। ऐसे में साल 2012 में टीम इंडिया से बाहर होने के बाद इरफ़ान ने 5 से 6 साल वापसी के लिए जमकर मेहनत की मगर सफल नहीं हो पाए। जिसके चलते उन्होने क्रिकेट से अब अलविदा कह दिया। इस तरह इरफ़ान से उस समय के बारे में बात करते हुए पूछा गया कि उन्हें पहली बार कब ऐसा लगा कि टीम में वापसी काफी मुश्किल है और संन्यास का विचार आने लगा। जिस पर इरफ़ान ने कहा, " साल 2017 में जब जम्मू एंड कश्मीर से मेरे पास ऑफर आया उसके बाद फिर कपिल देव पाजी से बात हुई तो उन्होंने भी यही बोला आप इसे कर सकते हों। मैंने सोचा और तभी निर्णय ले लिया था कि अब आगे चलकर संन्यास ले लेंगे।"
अपनी कोण बनाती गेंदों से विरोधी खेमे में हलचल मचाने वाले इरफ़ान से जब उनके करियर में किसी चीज़ के मलाल के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा, "जब मैं अपने करियर के अंत में था उस समय मैं शिखर पर था हलांकि फिर आगे नहीं खेल पाया। इसके बावजूद टी20 विश्वकप 2007 विजेता टीम का हिस्सा रहा, टी20 विश्वकप फ़ाइनल मैच में 'मैंन ऑफ द मैच' रहा। इस तरह के कारनामें से लोग हमेशा मुझे याद रखेंगे। इतना ही नहीं एक बात और कहना चाहूँगा कि लोग मुझे इसलिए भी याद रखेंगे कि जब भी गेंद डालता था तो पहले या दूसरे ओवर में विकेट जरूर निकालता था। इस वजह से इरफ़ान जाना जाता था।"
इस तरह क्रिकेट के मैदान में अपना सब कुछ न्यौछावर कर देने वाले खिलाड़ी इरफान पठान ने पर्दे के पीछे रहकर भारतीय घरेलू क्रिकेट में जम्मु एंड कश्मीर क्रिकेट के लिए मसीहा वाला काम किया है। उन्होंने बतौर मेंटोर ना सिर्फ जम्मु एंड कश्मीर को निखारा बल्कि उनके सानिध्य में रसिख सलाम डार जैसे युवा खिलाड़ी निकलकर पिछले आईपीएल सीजन 2019 में मुंबई इंडियंस के लिए भी खेलें।
इस तरह जम्मु एंड कश्मीर क्रिकेट में बतौर मेंटोर अपनी भूमिका के बारे में इरफ़ान ने कहा, "19 साल की उम्र से मैंने मेंटरिंग करना शुरू कर दिया था जब मैं बडौदा टीम के लिए खेला करता था। मेरे अंदर उसी समय से था कि अपने से छोटे क्रिकेटर को आगे प्रोत्साहित करता था, उनसे बात करता था। मुझे याद है जब दीपक हुड्डा 15 साल के थे मैं रणजी टीम के साथ ट्रेवल कर रहा था। तभी समझ गया था कि वो आगे जायेंगे। मैं शुरू से ही तेज गेंदबाजी और बल्लेबाजी में लड़कों की मदद करते आया हूँ। लेकिन जो काम मैंने पिछले 2 साल में जम्मू एंड कश्मीर के छोटे-छोटे जिलों कुपवाड़ा, बारामुला जैसी जगहों में जाकर किया। वहाँ 500-1000 बच्चे निकालें आगे प्रतिस्पर्धा बढ़ी। उसके बाद जो खिलाड़ी जूनियर क्रिकेट में परिश्रम कर रहा था वो आईपीएल तक खेल जाता है। तो इससे बड़ा ईनाम मेरे लिए क्या हो सकता है। "
क्रिकेट के मैदान में भलें ही आज फैंस उनकी लहराती गेंदों को ना देख पा रहे हों लेकिन अपने 'शबनम' जैसे शब्दों के इस्तेमाल के कारण इरफ़ान पठान इन दिनों क्रिकेट की हिंदी कमेंट्री में छाए रहते हैं। ऐसे में बातचीत के अंत में इरफ़ान ने बताया की वो 3 साल तक इस काम से दूर भागते रहे लेकिन अभी इसका भरपूर आनंद ले रहे हैं।
इरफ़ान ने कमेंट्री के बारे में कहा, "साल 2014 से मेरे पास ऑफर आ रहा था लेकिन मैं अपनी वापसी के चक्कर से इससे किनारा कर रहा था। फिर उसके बाद जब कमेंट्री करना शुरू किया तो लगा कि हाँ अब आनंद आ रहा है तो इसे जारी रखेंगे।"