भारतीय क्रिकेट टीम अमेरिका के फ्लोरिडा में वेस्टइंडीज के खिलाफ लगातार 2 टी-20 मैच जीतकर सीरीज में अजेय बढ़त बना चुकी है। इस सीरीज के पहले मैच में टीम इंडिया ने पहली बार नवदीप सैनी को मौका दिया जिन्होंने अपनी धारदार गेंदबाजी से डेब्यू मैच में 3 विकेट लेकर धमाल मचा दिया।
उन्होंने चार ओवरों में एक मेडेन ओवर निकाला और सिर्फ 17 रन दिए। यही नहीं, सैनी ने अपने पहले ही ओवर में दो विकेट झटके। टी20 में अपने डेब्यू मैच के पहले ही ओवर में दो विकेट लेने वाले सैनी दूसरे भारतीय गेंदबाज हैं। इससे पहले प्रज्ञान ओझा ने 2009 में बांग्लादेश के खिलाफ अपने डेब्यू मैच के पहले ही ओवर में दो विकेट झटके थे। नवदीप को उनकी शानदार गेंदबाजी के लिए मैन ऑफ द मैच अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।
नवदीप की इस सफलता से उनके परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई है। नवदीप के पिता अमरजीत सैनी अपने बेटे के इस प्रदर्शन से काफी खुश हैं और उन्होंने इंडिया टी.वी. के साथ एक्सक्लूजिव बातचीत में अपने बेटे के शानदार डेब्यू पर खुशी जताई।
नवदीप के टीम इंडिया में डेब्यू को लेकर कहा, "दूसरों के बच्चों को टीवी पर खेलता देख सोचता था कि कब मेरा बच्चा खेलेगा। अब अपने बच्चे को टीम इंडिया के लिए खेलते हुए देखना काफी अच्छा लग रहा है। मैं बहुत खुश हूं। सभी बधाई देने आ रहे हैं।"
नवदीप के पिता ने अपने बेटे के शुरूआती दिनों को याद करते हुए बताया, "नवदीप जब 5वीं क्लास में पढ़ता था तब से उसको क्रिकेट खेलने का शौक था। फिर हमने इसको बॉल वगैराह लाकर दी और घर पर खेलने लगा। जैसे-जैसे बड़ा होता गया बच्चों के साथ खेलने लग गया। इसके बाद खेलते-खेलते करनाल शहर में 12वीं क्लास तक फेमस हो गया। इसी दौरान एक दिन सुमित नरवाल ने नवदीप को खेलते देखा और उससे पूछा कि आपका कोच कौन है। तो नवदीप ने बताया कि मेरा कोई कोच नही है। मैं बस ऐसे ही खेलता हूँ।"
उन्होंने आगे कहा, "सुमित फिर नवदीप को दिल्ली लेकर गए जहां गौतम गंभीर उससे काफी प्रभावित हुए। इसके बाद उसका रणजी में चयन हुआ और फिर उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा।"
नवदीप के पिता ने अपने बेटे की गौतम गंभीर से मुलाकात को नवदीप के जीवन का सबसे बड़ा टर्निंग पाइंट बताया। उन्होंने कहा, "जब नवदीप गौतम गंभीर से मिला तो उसने फैसला कर लिया कि अब वह क्रिकेटर ही बनेगा। इसके लिए नवदीप ने पढ़ाई भी छोड़ दी और अपना पूरा ध्यान क्रिकेट में लगा दिया।"
अमरजीत आगे कहते हैं, "मैं अपने बेटे को यही कहता हूं कि बेटा बहुत मेहनत कर। अच्छा खेलेगा तो नाम होगा और जहां तक रही खेलते देखने की बात तो मैं अपने बेटे को एक दिन देश की क्रिकेट टीम का कप्तान बनते देखना चाहता हूँ।"
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