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Hindi News खेल क्रिकेट Exclusive : चुनौतियों से नहीं, उपेक्षा से निराश हैं ब्लाइंड क्रिकेट के स्टार दीपक मलिक और कप्तान अजय रेड्डी

Exclusive : चुनौतियों से नहीं, उपेक्षा से निराश हैं ब्लाइंड क्रिकेट के स्टार दीपक मलिक और कप्तान अजय रेड्डी

ब्लाइंड क्रिकेटर को मूलत: तीन श्रेणीयों मे बांटा जाता है। पहली कैटेगरी बी -1 होती है जिसमें खिलाड़ी पूरी तरह ब्लाइंड होता है। हर 11 सदस्यीय टीम में कम से कम चार खिलाड़ी बी-1 के होते हैं।

<p>Ajay Kumar Reddy And Deepak Malik </p>- India TV Hindi Image Source : TWITTER/CABI Ajay Kumar Reddy And Deepak Malik 

कोरोना वायरस महामारी के कारण पूरी दुनिया में क्रिकेट गतिविधियों पर एक ब्रेक सा लग गया है। सभी तरह के खेल से जुड़े खिलाड़ी जल्द से जल्द खेल बहाल होने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। ऐसी ही कुछ बेताबी ब्लाइंड क्रिकेट टीम के स्टार खिलाड़ी दीपक मलिक को भी है और वह जल्द से जल्द मैदान पर लौटना चाहते हैं। दीपक मौजूदा समय में हरियाणा सरकार के खेल विभाग में कार्यरत हैं। हालांकि कोरोना वायरस महामारी के कारण जारी लॉकडाउन में वह अभी अपने घर पर ही हैं। 

कोरोना वायरस महामारी के इस कठीन दौर में दीपक ने इंडिया टीवी डॉट इन के साथ खास बातचीत की। इस दौरान उन्होंने ब्लाइंड क्रिकेट और खिलाड़ियों की समस्या के साथ उनके सामने आने वाले तमाम तरह की चुनौतियों को लेकर अपनी बात रखी।

दीपक ने कहा, ''एक क्रिकेटर के तौर पर मुझे अपने घर और परिवार के साथ रहने का बहुत ही कम मौका मिलता है लेकिन कोरोना वायरस महामारी के इस दौर में हमें घर पर रहने का अच्छा मौका मिला है। हालांकि मैं क्रिकेट में वापसी के लिए बेसब्री से इंतजार कर रहा हूं। मेरा इंतजार ठीक वैसा ही है जैसा की कोई खिलाड़ी विश्व कप में हिस्सा लेने के लिए करता है।''

दीपक आखिरी बार इसी साल मार्च में क्रिकेट के मैदान पर उतरे थे और अप्रैल में साउथ अफ्रीका के खिलाफ सीरीज के लिए तैयारी कर रहे थे लेकिन इससे पहले ही कोरोना के कहर ने पूरी दुनिया को अपने घर में बंद कर दिया। हालांकि लॉकडाउन के बाद भारतीय ब्लाइंड टीम सरकार के दिशा निर्देशों का इंतजार रही है उसके बाद ही खिलाड़ियों को मैदान पर प्रैक्टिस करने की मंजूरी देगी।

Image Source : Twitter/CABIDeepak Malik

इसके अलावा दीपक ने इस खेल से जुड़े खिलाड़ियों की समस्याओं को लेकर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा, ''लॉकडाउन में सभी लोग को परेशानी हुई है और इस दौरान ब्लाइंड क्रिकेटर पर भी प्रभाव पड़ा है। ब्लाइंड क्रिकेट बोर्ड की तरफ से भारतीय के टीम के लिए खेलने वाले खिलाड़ी को मदद की पेशकश की है। मुझे भी बोर्ड की तरफ से मदद का प्रस्ताव आया लेकिन मैंने यह मदद लेने से इंनकार कर दिया। मुझे मिलने वाली मदद को मैंने किसी अन्य खिलाड़ी को देने के लिए कहा है कि क्योंकि मैं स्थाई नौकरी करता हूं लेकिन जिनके पास नौकरी नहीं है और जिनको जरुरत है उन्हें मदद मिलनी चाहिए।''

आपको बता दें कि दीपक मलिक ने साल 2014 ब्लाइंड विश्व कप विजेता टीम के हिस्सा रह चुके हैं। इस विश्व कप के फाइनल मुकाबले में भारत ने पाकिस्तान को हराकर खिताब पर कब्जा जमाया था। इसी विश्व कप के सेमीफाइनल मुकाबले में दीपक ने श्रीलंका के खिलाफ महज 17 गेंद में 50 रनों की तूफानी अर्द्धशतकीय पारी खेली थी। 

इसके अलावा दीपक साल 2016 एशिया कप टी-20 टूर्नामेंट और टी-20 विश्व कप में भारतीय टीम को जीताने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वहीं साल 2018 में खेले गए विश्व कप में भी उन्होंने धमाल मचाया था और टीम को खिताब दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसी विश्व कप में उन्होंने श्रीलंका के खिलाफ 102 गेंदों में 179 रनों की महत्वपूर्ण पारी खेली थी।

दीपक ने कहा, ''हमारे ऊपर अबतक किसी तरह का ध्यान नहीं दिया जा रहा है लेकिन हम फिर में अपना काम करते रहेंगे। कभी ना कभी तो हमारे खेल के ऊपर दुनिया की नजर पड़ेगी। हमें पता है हम सिर्फ अपने खेल से ही खुद की जगह को पक्का कर पाएंगे।''

ब्लाइंड क्रिकेट को भी मिलना चाहिए बराबरी का दर्जा

दीपक इस बातचीत के दौरान कहते हैं कि बाकी खेलों की तरह ब्लाइंड क्रिकेट को भी बराबरी का दर्जा मिलना चाहिए। दीपक का मानना है कि सरकार को इस खेल पर भी ध्यान देना चाहिए। कम से कम इस खेल को बढ़ावा देने के लिए सरकार इससे जुड़े खिलाड़ियों को स्थाई नौकरी या फिर प्रोत्साहन देना चाहिए ताकि उन्हें अपनी पहचान मिले सके।

दीपक ने कहा, ''ब्लाइंड क्रिकेटर जब क्रिकेट नहीं खेल रहे होते हैं वह दिहारी-मजदूरी करने के लिए मजबूर हो जाते हैं। उन्हें कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। वहीं बीसीसीआई द्वारा संचालित भारतीय क्रिकेट टीम से जुड़े कई खिलाड़ियों को सरकारी और गैर सरकारी संस्थानों में कई बड़े ऊंचे पद दिए गए हैं जिनकी शायद उन्हें जरूरत भी नहीं है। ऐसे में जरुरतमंद ब्लाइंड क्रिकेटरों मदद मिलनी चाहिए ताकि वह कम से कम अपना जीवन यापन चला सकें।''

Image Source : Twitter/ CABIIndian Blind cricket

उन्होंने कहा, ''भारतीय टीम के कई बड़े खिलाड़ियों ने ब्लाइंड क्रिकेट के लिए  सोशल मीडिया पर ट्वीट करते रहते हैं, लेकिन उन्होंने सामने से कभी कोई मदद नहीं की है। सरकार की तरफ से भी हमें कुछ मदद नहीं मिल पाती है। इसके अलावा हमें कोई स्पांसरशिप भी नहीं मिल पाता है और ना ही इस क्रिकेट मैच का कोई ब्रॉडकास्ट होता है। जिस तरह से प्रो कब्ड्डी लीग जैसे खेल को स्टार स्पोर्ट्स जैसे नेटवर्क पर उसका ब्रॉकास्ट किया है और उसे करोड़ों लोग देखते हैं अगर ब्लाइंड क्रिकेट के साथ भी ऐसा हो तो इसकी लोकप्रियता और बढ़ती।''

दीपक ने कहा, ''सरकारी खेल पुरुस्कारों में भी ब्लाइंड क्रिकेटरों को अनदेखा किया जाता है। हम भी भारत के लिए खेलते हैं। हमारे जर्सी पर भी भारत ही लिखा जाता है। पूर्व कप्तान शेखर नाइक के बाद आज तक ब्लाइंड क्रिकेट में किसी कोई पुरुस्कार नहीं मिला है। हर साल ब्लाइंड क्रिकेट की तरफ कई सारे नाम भेजे जाते हैं लेकिन हमारा नामंकण तक का कोई जवाब नहीं आता है। हम पीए मोदी से मिले उन्होंने हमें इस खेल को आगे बढ़ाने में मदद का आश्वसन भी दिया लेकिन अबतक कुछ भी सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आया है।''

भारतीय क्रिकेटरों की मदद को लेकर अपनी बात रखते हुए कहा, ''भारतीय टीम में कई सारे खिलाड़ी हैं जो जिनकी कमाई अरबों में हैं लेकिन किसी की तरफ से हमारे लिए कोई मदद नहीं आई है। आखिरी बार हार्दिक पंड्या की तरफ मदद मिली थी। यह मदद भी उनके जुर्माने की राशि थी जो कि कॉफी विद करण के शो पर विवादित बयान के बाद उन पर लगा था।''

दीपक के अलावा भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान अजय कुमार रेड्डी ने भी ब्लाइंड क्रिकेट को लेकर अपनी समस्याओं को लेकर बात रखी। बचपन में सेना में भर्ती होने का सपना संजोने वाले अजय रेड्डी ने अपनी कप्तानी में भारतीय ब्लाइंड क्रिकेट टीम को कई सारे महत्वपूर्ण खिताब दिलाए हैं, जिसमें दो बार 50 ओवर विश्व कप, एशिया कप और टी-20 विश्व कप शामिल है।

अजय रेड्डी का मानना है कि ब्लाइंड क्रिकेट के सामने कई तरह की चुनौतियां हैं। इसे आगे बढ़ाने के लिए हमें सरकार से मदद की जरूरत है। 

उन्होंने कहा, ''पिछले दो से तीन सालों नें बहुत हद तक लोगों को ब्लाइंड क्रिकेट के बारे में पता चलना शुरू हो गया है लेकिन अभी इसे आगे बढ़ाने के लिए सरकारी मदद की जरुरत है।''

Image Source : Twitter/CABIIndian Blind cricket

अजय ने कहा, ''इस खेल से जुड़े कई खिलाड़ी अपने भविष्य लेकर अनिश्चित रहते हैं। उन्हें लगता है कि हम दिव्यांग है और इस खेल से हमारा जीवन यापन नहीं हो पाएगा। इसलिए वह इससे नहीं जुड़ना चाहते हैं और पढ़ाई लिखाई कर कोई नौकरी हासिल करना चाहते हैं। यहां भी उनके लिए सबकुछ आसान नहीं होता है। ऐसे में सरकार की तरफ से ब्लाइंड क्रिकेट को प्रोत्साहन मिलेगा तो कई अन्य खिलाड़ी भी इससे जुड़ना चाहेंगे जो कि इसमें अपना करियर बना सकते हैं।''

शेखर नाइक की कप्तानी में डेब्यू करने वाले अजय रेड्डी स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में कार्यरत हैं। उनका मानना है कि ब्लाइंड क्रिकेट से जुड़े कम से कम उन खिलाड़ियों को सरकार की तरफ से नौकरी दी जाए जो भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।

इसके साथ ही उन्होंने कहा, ''इस खेल से जुड़ने के लिए खिलाड़ियों को कई तरह की समस्याओं को सामना करना पड़ता है। घर परिवार से उन्हें पूरा समर्थन नहीं मिल पाता है लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए। परिवार को उन्हें सपोर्ट करना चाहिए। इस खेल में भी खिलाड़ी अपना भविष्य बेहतर कर सकते हैं।''

तीन श्रेणी में बंटे होते हैं ब्लाइंड क्रिकेटर

ब्लाइंड क्रिकेटर को मूलत: तीन श्रेणीयों मे बांटा जाता है। पहली कैटेगरी बी -1 होती है जिसमें खिलाड़ी पूरी तरह ब्लाइंड होता है। हर 11 सदस्यीय टीम में कम से कम चार खिलाड़ी बी-1 के होते हैं।

वहीं दूसरी श्रेणी बी-2 होती है, जिसमें ऐसे 3 खिलाड़ी होते हैं जिन्हें 3 मीटर तक दिखाई देता है। वहीं तीसरी श्रेणी होती है बी -3, जिसमें 4 ऐसे खिलाड़ी होते हैं जिन्हें लगभग 6 मीटर तक दिखता है।
  
ब्लाइंड क्रिकेट टीम में भारतीय टीम के कप्तान अजय कुमार रेड्डी बी-2 श्रेणी के खिलाड़ी हैं जबकि दीपक मलिक बी-3 श्रेणी में आते हैं।

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