मोंगिया ने 1995-96 में पहली बार पंजाब टीम में जगह बनाई। घरेलू क्रिकेट में लगातार रन बनाने के बाद 2000-01 सीज़न में उनका चयन भारतीय टीम में हो गया। हालंकि एक बाएं हाथ के बल्लेबाज़ की तरह उनकी बैटिंग दर्शनीय तो नहीं थी लेकिन उनके पास कई तरह के शॉट खेलने की काबिलियत थी।
मोंगिया की बैटिंग वनडे के अनुकूल थी और उन्होंने मार्च 2002 में गुवाहाटी में ज़िंबाब्वे के ख़िलाफ़ 159 रन बनाए थे। उनकी टैक्नीक बहुत अच्छी नहीं थी और विदेश की पिचों के लायक नही थी जहां बॉल में उछाल और स्विंग दोनों होता है। इंग्लैंड के दौरे पर उनकी टैक्नीक की ख़ामी उभर कर सामने भी आ गई। टीम से बाहर होने के बाद मोंगिया को 2003 World Cup के लिए फिर टीम में चुना गया।
मोंगिया ने टीम में वापसी के लिए 2004 में इंग्लैंड में क्लब क्रिकेट केलना शुरु कर दिया। मोंगिया की टैक्नीक टी20 क्रिकेट को सूट करती थी।
मोंगिया को 2007 के बांग्लादेश दौरे के लिए भी चुना गया था। इसके बाद वह ICL में चंडीगढ़ लॉयंस के लिए खेलने लगे लेकिन मोंगिया को 2008 सत्र के दौरान आईसीएल ने अनुशासनात्मक कारणों से निलंबित कर दिया था जिनका खुलासा नहीं किया गया। पंजाब का बायें हाथ का यह बल्लेबाज हालांकि इसके बाद बाहर हो गया क्योंकि बीसीसीआई ने सभी खिलाडि़यों के वापस लौटने के समय उन्हें माफी नहीं दी।
दिनेश मोंगिया ने छह साल के अंतरराष्ट्रीय करियर के दौरान भारत की ओर से 57 एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय और एक टी 20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेला। वह 2003 विश्व कप टीम के सदस्य भी रहे।
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