भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और मौजूदा बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली की गिनती बाएं हाथ के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में की जाती है। भारत के लिए उन्होंने वनडे और टेस्ट दोनों ही फॉर्मेट में लाजवाब कप्तानी के साथ बेहतरीन बल्लेबाजी भी की थी। दोनों ही फॉर्मेट में दादा ने खूब रन बनाए, लेकिन भारतीय टीम के पूर्व खिलाड़ी दिलीप वेंगसरकर का मानना है कि गांगुली टेस्ट क्रिकेट में और भी अच्छा कर सकते थे।
टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए वेंगसरकर ने कहा "मुझे हमेशा लगता था कि अगर वह टेस्ट क्रिकेट में उपरी क्रम में बल्लेबाजी करने आता तो वो और अच्छा कर सकता था। ब्रिस्बेन में उनकी पारी क्लास थी।"
टेस्ट क्रिकेट के करियर की शुरुआत में गांगुली उपरी क्रम में बल्लेबाजी करने आते थे, लेकिन जब वह कप्तान बने तो उन्होंने सचिन, सहवाग और द्रविड़ जैसे खिलाड़ियों को मौका देने के लिए खुद को नीचे कर लिया।
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गांगुली के वनडे रिकॉर्ड की बात करें तो उन्होंने 311 मैचों में 22 शतकों के साथ 11363 रन बनाए हैं। भारत के लिए सबसे ज्यादा शतक लगाने वाले खिलाड़ियों की सूची में दादा सचिन तेंदुलकर (49), विराट कोहली (43) और रोहित शर्मा (29) के बाद चौथे स्थान पर हैं।
गांगुली वनडे क्रिकेट में तो उपरी क्रम में बल्लेबाजी किया करते थे, लेकिन टेस्ट क्रिकेट में वह ज्यादातर 5वें स्थान पर ही बल्लेबाजी करने आते थे। गांगुली ने 113 टेस्ट मैच खेलते हुए 42.18 की औसत से 7212 रन बनाए हैं। उनका टेस्ट में औसत वनडे (40.73) से अच्छा था।
वेंगसरकर ने इसी के साथ गांगुली को स्पिन के खिलाफ अच्छा बल्लेबाज और बेहतरीन कप्तान भी बताया। वेंगसरकर ने कहा "स्पिन के खिलाफ वह अच्छा खेलता था। ऑफ साइड में शॉट खेलना उसे काफी पसंद था। वह इस खेल का बहुत अच्छा छात्र था और मैन मैनेजमेंट भी उसकी अच्छी थी। उसने बड़ी सफलता के साथ भारत का नेतृत्व किया।"
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इससे पहले इंग्लैंड के पूर्व कप्तान गॉवर ने गांगुली द्वारा बीसीसीआई में किए गए काम की तारीफ की थी और साथ ही उन्होंने कहा था कि गांगुली में आईसीसी का भी नेतृत्व करने का कौशल है।
गॉवर ने कहा था, ‘‘मैंने इतने वर्षों में जो कुछ सीखा है, वह यह है कि बीसीसीआई का संचालन करने के लिए अपके पास कई तरह का कौशल और समझ होने चाहिए। उनकी (गांगुली) जैसी प्रतिष्ठा होना (बोर्ड के लिए) बहुत अच्छी शुरुआत है, लेकिन आपको एक बहुत ही विनम्र राजनीतिज्ञ होने की जरूरत है।’’
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