नई दिल्ली| सुनील गावस्कर और गुंडप्पा विश्वनाथ जैसे दिग्गजों की मौजूदगी में उन्हें भले ही वैसी शोहरत नहीं मिली हो लेकिन दिलीप वेंगसरकर को कोई मलाल नहीं है और वह अपने कैरियर से काफी खुश हैं। सोमवार को अपना 64वां जन्मदिन मना रहे वेंगसरकर अस्सी के दशक में भारत के प्रमुख बल्लेबाजों में से थे।
भारत के लिये 16 साल तक खेलने वाले ‘कर्नल’ ने प्रेस ट्रस्ट को दिये इंटरव्यू में कहा ,‘‘ जब मैं पीछे देखता हूं तो काफी अच्छा और संतोषजनक सफर रहा। भारत के लिये 116 टेस्ट खेलना सबसे बड़ा संतोष है।इसके अलावा 129 वनडे, विश्व कप जीतना और विश्व चैम्पियनशिप जीतना। इसके साथ भारत की कप्तानी। यह शानदार सफर रहा।’’
लाडर्स पर तीन शतक लगाने वाले इंग्लैंड से इतर एकमात्र अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर और सत्तर, अस्सी के दशक के खतरनाक कैरेबियाई आक्रमण के सामने छह शतक जमाने वाले वेंगसरकर को क्या महसूस होता है कि उन्हें वह श्रेय नहीं मिला जिसके वह हकदार थे , यह पूछने पर उन्होंने कहा ,‘‘ यह भाग्य की बात है। आपको कड़ी मेहनत करके ईमानदारी से खेलकर टीम के लिये मैच जीतने होते हैं। यह हर क्रिकेटर का लक्ष्य होना चाहिये।’’
उन्होंने कहा ,‘‘ इस तरह से जो भी उपलब्धियां या पहचान मिलती है, आपको श्रेय मिलता है या नहीं , यह सब भाग्य की बात है।’’
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