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Hindi News खेल क्रिकेट महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में क्या था ख़ास, पार्थिव पटेल ने खोला राज

महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में क्या था ख़ास, पार्थिव पटेल ने खोला राज

आईपीएल के पहले संस्करण में चेन्नई सुपर किंग्स का हिस्सा रहे पार्थिव पटेल ने धोनी की कप्तानी को लेकर बड़ा खुलासा किया है। पार्थिव पटेल ने बताया है कि मैच से पहले धोनी की टीम मीटिंग एक-दो मिनट से ज्यादा नहीं चलती थी।

<p>महेंद्र सिंह धोनी की...- India TV Hindi Image Source : IPLT20.COM महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में क्या था ख़ास, पार्थिव पटेल ने खोला राज

आईपीएल के पहले संस्करण में चेन्नई सुपर किंग्स का हिस्सा रहे पार्थिव पटेल ने धोनी की कप्तानी को लेकर बड़ा खुलासा किया है। पार्थिव पटेल ने बताया है कि मैच से पहले धोनी की टीम मीटिंग एक-दो मिनट से ज्यादा नहीं चलती थी।

आईपीएल के पहले सीजन में पार्थिव ने 13 मैचों में 302 रन बनाए और सीएसके को फाइनल में पहुचाने में मदद की। हालांकि खिताबी मुकाबले में चेन्नई को राजस्थान रॉयल्स के खिलाफ हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद पटेल ने आईपीएल में कई टीमों की ओर खेला लेकिन उनका मानना है कि इतने सालों में धोनी और उनकी कप्तानी में कुछ भी बदलाव नहीं आया।

पार्थिव ने स्टार स्पोर्ट्स से बातचीत में कहा, “टीम मीटिंग 2 मिनट तक चलती थीं। 2008 के फाइनल में धोनी की अगुवाई में सीएसके की टीम मीटिंग 2 मिनट तक चली और मुझे यकीन है कि 2019 में भी वो 2 मिनट तक ही चली होगी। धोनी हमेशा अपने खिलाड़ियों से जो चाहते थे, उसको लेकर स्पष्ट थे।"

उन्होंने कहा, “धोनी हमेशा अपनी टीम के संयोजन के बारे में स्पष्ट थे और प्रत्येक खिलाड़ी को अपना रोल पता था। 2008 के सीज़न में राजस्थान रॉयल्स की टीम 11 खिलाड़ियों के समूह की तरह खेली। यह कभी भी अकले खिलाड़ियों की टीम नहीं थी और इसीलिए हमने उन्हें गंभीरता से लिया। वे कभी भी अंडरडॉग्स नहीं थे।”

पार्थिव सीएसके के लिए 2010 तक खेले और उन्होंने स्वीकार किया कि कुछ महान खिलाड़ियों के साथ ड्रेसिंग रूम साझा करने की वजह से उन्हें बहुत कुछ सीखने को मिला। चेन्नई की टीम छोड़ने के बाद पटेल कोच्चि टस्कर्स केरल, डेक्कन चार्जर्स, सनराइजर्स हैदराबाद और मुंबई इंडियंस का हिस्सा रहे। उन्होंने 2014 में रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के लिए खेला और 2018 में एक बार फिर RCB में लौट आए।

पार्थिव ने कहा, "मैंने हसी, फ्लेमिंग और हेडन जैसे खिलाड़ियों को देखकर 2008 में बहुत कुछ सीखा। वे कैसे बड़े मैचों के लिए तैयार होते और कैसे इसकी तैयारी करते। आईपीएल बहुत बदल गया है। हम बल्लेबाजी के आखिरी 5 ओवरों में 30 से 36 रन का लक्ष्य रखते थे। अब पहली पारी के आखिरी पांच ओवरों में 50 से 60 रन का लक्ष्य रखना नॉर्मल है।”

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