विश्वस्त सूत्रों के अनुसार टीम प्रबंधन ने सामूहिक रूप से फैसला किया था कि कप्तान को इस मामले में दोषी नहीं माना जायेगा क्योंकि उन्होंने गेंदबाज को जान बूझकर नुकसान पहुंचाने की कोशिश नहीं की थी । इसके बाद टीम ने आरोप का विरोध करने का फैसला लिया।
सुबह टीम होटल में मैदानी अंपायर राड टकर और इनामुल हक को पायक्रोफ्ट ने बुलाया था जिसके बाद धोनी, डे और टीम इंडिया के निदेशक रवि शास्त्री को समन किया गया ।
समझा जाता है कि टीम इंडिया ने कहा कि धोनी ने कभी अपनी कोहनी नहीं उठाई थी और अधिकारियों ने कहा कि वह सिर्फ रन पूरा करना चाहता था ।
रिप्ले के अनुसार धोनी के कंधे और बाजू में गैप नहीं था जिससे साबित होता है कि उसने गेंदबाज को कोहनी मारने की कोशिश नहीं की ।
इस तरह का शारीरिक संपर्क हालांकि लेवल एक के अपराध में नहीं आता है और मैच रैफरी ने इसे लेवल दो का अपराध बताया जिसके तहत मैच फीस का 50 से 100 फीसदी जुर्माना या दो मैचों का प्रतिबंध लगाया जाता है ।
भारतीय तिकड़ी की सुनवाई के बाद मुस्ताफिजुर और बांग्लादेशी टीम मैनेजर खालिद महमूद सुजोन को बुलाया गया था ।
मुस्ताफिजुर ने बांग्ला दैनिक प्रथोम आलो से कहा था , मैने बीच में आकर गलती की थी ।
इससे पहले रोहित शर्मा की बल्लेबाजी के दौरान भी मुस्ताफिजुर बीच में आ गया था और उस पर मैच फीस का 50 फीसदी जुर्माना लगाया गया ।
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