क्या बैटिंग टैक्नीक में बदलाव धोनी को दिलाएगा 2019 WC का टिकट?
कुछ आलोचक धोनी को 2019 विश्व कप के लिए अनफ़िट मानने लगे हैं लेकिन लगता है धोनी इतनी आसानी से हार मानने वाले नहीं हैं और इसीलिए वह अपनी बैटिंग टैक्नीक में कुछ बदलाव कर रहे हैं।
टीम इंडिया के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी इन दिनों अपनी बैटिंग को लेकर आलोचनाओं के शिकार हो रहे हैं। कुछ आलोचक तो उन्हें 2019 विश्व कप के लिए अनफ़िट मानने लगे हैं लेकिन लगता है धोनी इतनी आसानी से हार मानने वाले नहीं हैं और इसीलिए वह अपनी बैटिंग टैक्नीक में कुछ बदलाव कर रहे हैं।
आज जब भारत श्रीलंका के बीच चौथा वनडे खेला जाएगा तो ये धोनी का 300वां वनडे होगा। 300 वनडे मैच खेलने वाले वह 20वें क्रिकेटर बन जाएंगे।
धोनी ने शायद पहली बार अपनी बैटिंग टैक्नीक में दो बदलाव किए हैं। अब वह बॉलिंग का सामना करते वक़्त पीछे की तरफ एक्रॉस शफ़ल करना साख रहे हैं। इससे उन्हें शॉट खेलने का मौक़ा मिलेगा। इसके अलावा अब वह अपने पसंदीदा बैटिंग पैड मोरैंट की जगह अमूमन इस्तेमाल किए जाने वाले पैड का इस्तेमाल करेंगे। मोरैंट पैड्स बहुत कम बल्लेबाज़ इस्तेमाल करते हैं। सचिन, सहवाग और गांगुली ये पैड पहनकर बैटिंग करते थे। ये पैड दूसरे पैड्स के मुक़ाबले 200 ग्राम हल्का होता है। मोरैंट पैड के पीछे दो स्ट्रेप्स होते हैं।
धोनी इसके पहले जब तक बॉलर बॉल नहीं देता था, हिलते नहीं थे लेकिन अब इसमें बदलाव किया है। अब वह बॉल आने के कुछ सैकिंड पहले ही अपना पीछे का पांव ऑफ़ की तरफ ले जाएंगे और उसेक साथ ही सामने का पांव भी उसी दिशा में बढ़ेगा। ऐसा करने से बॉडी मोशन में आ जाती है और शॉट खेलने में मदद मिलती है।
ये देखना दिलचस्प होगा कि दूसरे और तीसरे मैच में धोनी के 45 नाबाद और 67 नाबाद स्कोर में इन बदलाव ने कितनी मदद की। धोनी को दो मामलों में परेशानी हो रही है- एक तो वह मिडिल ओवर्स में स्ट्राइक रोटेट नहीं कर पा रहे हैं और दो कि अंतिम ओवरों में ताबडतोड़ बल्लेबाज़ी नहीं कर पा रहे हैं। पिछली दो पारियों में इन बदलावों की परीक्षा नही हुई है। लेकिन इन बदलाव से एक बात तो साफ़ है कि धोनी भी मानते हैं कि वह बॉल पर तेज़ी से नहीं आ पा रहे हैं।