नस्लवाद मुद्दे पर डैरेन सैमी की आईसीसी को नसीहत, आवाज उठाएं या इसका हिस्सा कहलाने के लिए तैयार रहें
डैरेन सैमी ने आईसीसी से नस्लवाद के खिलाफ आवाज उठाने की अपील की है। इसी की साथ उन्होंने कहा है कि अगर आईसीसी ऐसा नहीं करती तो वह इस समस्या का हिस्सा कहलाने के लिये तैयार रहें।
अमेरिका में अफ्रीकी मूल के जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद नस्लवाद का मुद्दा गर्मा गया है। एक श्वेत पुलिस अधिकारी ने उसकी गर्दन अपने घुटने से दबा दी थी जिससे उसकी मौत हो गई। इसके बाद से अमेरिका में हिंसक प्रदर्शन जारी है। सोशल मीडिया पर भी नस्लवाद पर काफी बात हो रही है। इसी बीच वेस्टइंडीज के वर्ल्ड कप विजेता कप्तान डैरेन सैमी ने आईसीसी से नस्लवाद के खिलाफ आवाज उठाने की अपील की है। इसी की साथ उन्होंने कहा है कि अगर आईसीसी ऐसा नहीं करती तो वह इस समस्या का हिस्सा कहलाने के लिये तैयार रहें।
सैमी ने ट्विटर पर सिलसिलेवार पोस्ट में अश्वेतों की समस्याओं के बारे में लिखा। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा,‘‘ताजा वीडियो देखने के बाद इस समय अगर क्रिकेट जगत अश्वेतों पर हो रही नाइंसाफी के खिलाफ खड़ा नहीं होगा तो उसे भी इस समस्या का हिस्सा माना जायेगा।’’
सैमी ने कहा कि नस्लवाद सिर्फ अमेरिका में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में अश्वेतों को झेलना पड़ता है। उन्होंने सवाल दागा,‘‘आईसीसी और बाकी सभी बोर्ड को क्या दिखता नहीं है कि मेरे जैसे लोगों के साथ क्या होता है। मेरे जैसे लोगों के साथ हो रही सामाजिक नाइंसाफी क्या नजर नहीं आती।’’
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उन्होंने कहा़,‘‘यह सिर्फ अमेरिका में नहीं है। यह रोज होता है। अब चुप रहने का समय नहीं है। मैं आपकी आवाज सुनना चाहता हूं।’’
सैमी ने कहा,‘‘लंबे समय से अश्वेत लोग सहन करते आये हैं। मैं सेंट लूसिया में हूं और मुझे जॉर्ज फ्लॉयड की मौत का दुख है। क्या आप भी बदलाव लाने के लिये अपना समर्थन देंगे। हैशटैग ब्लैक लाइव्स मैटर।’’
इससे पहले वेस्टइंडीज के सलामी बल्लेबाज क्रिस गेल भी नस्लवाद पर कह चुके हैं कि यह सिर्फ फुटबॉल तक ही सीमित नहीं है। गेल ने हाल ही में कहा था "अश्वेत लोगों की जिंदगी भी दूसरों की जिंदगी की तरह मयाने रखती है। अश्वेत लोग मायने रखते हैं (ब्लैक लाइव्स मैटर)। नस्लभेदी लोग भाड़ में जाएं।"
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उन्होंने कहा, "मैंने पूरा विश्व घूमा है और नस्लभेदी बातें सुनी हैं क्योंकि मैं अश्वेत हूं। विश्वास मानिए।।यह फेहरिस्त बढ़ती चली जाएगी।"
उन्होंने कहा, "नस्लभेद सिर्फ फुटबाल में नहीं है।। यह क्रिकेट में भी है। यहां तक कि टीमों के अंदर भी एक अश्वेत होने के तौर पर मुझे अहसास हुआ है। मैनचेस्टर युनाइटेड और इंग्लैंड के फुटबॉल खिलाड़ी मार्क्स रशफोर्ड ने भी फ्लॉयड की मौत के बाद कहा था कि यह समाज पहले से ज्यादा बंटा हुआ लगता है।