कल के हादसे से 1999 कोलकता टेस्ट के दौरान हुई उस घटना की याद ताज़ा हो गई जब सचिन के विवादास्पद रन आउट होने के बाद दर्शक उग्र हो गए थे और डालमिया उन्हें शांत कराने सचिन के साथ मैदान में आ गए थे। ये डालमिया और सचिन का जिगरा ही था कि मैच फिर शुरु हो सका लेकिन अफसोस ये जिगरा हमें कटक में देखने को नहीं मिला।
दिलचस्प बात ये है कि ख़ुद धोनी ने मैच के बाद कहा कि हमें इन चीजों को गंभीरता से नहीं लेना चाहिये। जहां तक खिलाडि़यों की सुरक्षा का सवाल है, मुझे नहीं लगता कि कोई गंभीर खतरा था।
अब सवाल ये है कि अगर मैदान पर सिर्फ प्लास्टिक की बोतलें ही फेंकी जा रही थी तो क्या धोनी एण्ड कंपनी के लिए ये ज़रुरी नहीं हो जाता था कि वे दर्शकों को समझाएं क्योंकि जानमाल का तो कोई ख़तरा था नहीं। लेकिन उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया, वे बस तमाशबीन बनकर तमाशा देखते रहे जबकि डूमनी और बहरादीन दम साधे कभी दर्शकों को तो कभी अंपायर्स को देखते रहे।
हंगामा के दौरान टीम इंडिया मैदान के बीच में ही बैठ गई। हालांकि दूसरी ओर दक्षिण अफ्रीकी टीम के बल्लेबाज पवेलियन लौट गए। लेकिन टीम इंडिया पूरा नज़ारा मैदान के बीचों-बीच बैठकर देखती रही।
हंगामे के बाद अंपायरों ने मैच शुरू किया। लेकिन फिर हंगामा शुरू हो गया। कड़ी सुरक्षा के बीच मैच दोबारा शुरू किया गया। इससे पहले पुलिस और फौज के जवानों ने हंगामा कर रहे उत्पातों को स्टेडियम से बाहर किया।
दक्षिण अफ्रीका के मैच जीता और भारत को 6 विकेट से हराया। भारत ने इस हार के साथ ही सीरीज ही नहीं और भी काफी कुछ गंवा दिया।
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