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Hindi News खेल क्रिकेट जब कोच की बात सुनकर उमेश यादव ने बना लिया था क्रिकेट छोड़ने का मन

जब कोच की बात सुनकर उमेश यादव ने बना लिया था क्रिकेट छोड़ने का मन

भारत के तेज गेंदबाज उमेश यादव ने क्रिकेट के अपने पुराने दिनों को याद करते हुए खुलासा किया है कि उन्हें अपने करियर में बहुत देर से सीजन बॉल से खेलने का मौका मिला था और उन्होंने सीजन क्रिकेट बॉल को केवल टीवी पर देखा था।

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भारत के तेज गेंदबाज उमेश यादव ने क्रिकेट के अपने पुराने दिनों को याद करते हुए खुलासा किया है कि उन्हें अपने करियर में बहुत देर से सीजन बॉल से खेलने का मौका मिला था और उन्होंने सीजन क्रिकेट बॉल को केवल टीवी पर देखा था।

32 वर्षीय तेज गेंदबाज ने कहा कि उन्हें खुद पर विश्वास पर था कि जीवन में वह कुछ बड़ा करेंगे। सौभाग्य से किसी ने उमेश यादव यॉर्कर करते देखा और उनके लिए अवसर खुलने शुरू हो गए। उमेश ने काफी लंबे समय तक टेनिस बॉल से क्रिकेट खेला और उन्हें बहुत देर बाद सीजन बॉल से खेलने का मौका मिला।

पहली बार सीजन बॉल के अनुभव के बारे में याद करते हुए उमेश ने क्रिकबज से कहा, "जब पहली बार सीजन बॉल हाथ में आई तो सोचा कि ये भी बॉल होती है और इससे भी लोग खेलते हैं। क्योंकि जिस जगह से मैं आया हूं, वहां मैंने कभी बॉल पकड़ी ही नहीं, हमने केवल टीवी पर देखी थी। लेकिन इस बॉल को पकड़ने के लिए काफी पापड़ बेलने पड़े।"

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उन्होंने आगे बताया, " मैं मैदान पर खेल रहा तो किसी ने मेरे तेज यॉर्कर पर ध्यान दिया और फिर सचिव ने मुझे नागपुर के लिए जिला क्रिकेट खेलने का प्रस्ताव दिया। जिला क्रिकेट की ओर से खेलते हुए मैंने 8 विकेट लिए और फिर लोगों और कोच ने मुझे नोटिस किया। इसके बाद मुझे समर कैम्प में भेजा गया। समर कैम्प के पहले दिन जब मैं ग्राउंड में आया तो कोच ने मुझसे पूछा- 'तुम्हारे क्रिकेट स्पाइक्स (जूते) कहां है। जूते नहीं है, कैसे बॉलिंग करने आ गया। किसी को भी बुला लेते हो, भेज देतो हो। आप जाओ यहां से।' इसके बाद मैंने क्रिकेट छोड़ने का मन बना लिया था लेकिन दोस्तों ने मुझे काफी समझाया।"

घरेलू क्रिकेट टूर्नामेंट दलीप ट्रॉफी में पहली बार लक्ष्मण और द्रविड़ जैसे बल्लेबाजों के खिलाफ गेंदबाजी के अनुभव के बारें में उमेश यादव ने कहा, ''मैं सेंट्रल जोन की ओर से खेल रहा था और मैं पूरी तरह से नर्वस था। सामने दो दिग्गज बल्लेबाज थे। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं इनके खिलाफ किस तरह की गेंदबाजी करूं। हालांकि जब मैंने गेंदबाजी शुरू की तो मुझमें कुछ आत्मविश्वास पैदा हुआ और सौभाग्य से मैंने लक्ष्मण (13) और द्रविड़ (7) दोनों को आउट किया था। इन दो विकटों के बाद मेरा हौसला और बढ़ गया था।''

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