आईपीएल के साथ बनी रहेगी चीनी कंपनियां, गवर्निंग काउंसिल की बैठक में लिया गया फैसला
मीटिंग में आईपीएल के सभी प्रायोजकों को बनाए रखने का भी बड़ा फैसला लिया गया है। इसका मतलब यह हुआ कि वीवीओ अभी भी आईपीएल के साथ बना रहेगा।
आज यानी 2 अगस्त को हुई गवर्निंग काउंसिल की मीटिंग में आईपीएल 2020 की नई तारीखों का ऐलान हो गया है। भारतीय सरकार से मिली मंजूरी के बाद आईपीएल को इस साल यूएई में 19 सितंबर से 10 नवंबर के बीच कराया जाएगा। इसी के साथ मीटिंग में आईपीएल के सभी प्रायोजकों को बनाए रखने का भी बड़ा फैसला लिया गया है। इसका मतलब यह हुआ कि वीवीओ अभी भी आईपीएल के साथ बना रहेगा। मौजूदा स्थिति को देखते हुए आईपीएल को नए प्रयोजक मिलना मुश्किल होगा जिसकी वजह से ये फैसला लिया गया है।
आईपीएल जीसी के एक सदस्य ने नाम नहीं बताने की शर्त पर पीटीआई से कहा, ‘‘मैं सिर्फ यही कह सकता हूं कि हमारे सभी प्रायोजक हमारे साथ हैं। उम्मीद है कि आप समझ ही गये होंगे।’’
जून में पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन की सेना के बीच हुई भिंड़त के बाद चीनी प्रायोजन बड़ा मुद्दा बन गया था। भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (बीसीसीआई) ने इसके बाद करार की समीक्षा का वादा किया था। चार दशक से ज्यादा समय में पहली बार भारत चीन सीमा पर हुई हिंसा में कम से कम 20 भारतीय जवान शहीद हो गए। उसके बाद से चीनी उत्पादों के बहिष्कार की मांग की जा रही थी।
बीसीसीआई ने 19 जून को ट्वीट किया था, "सीमा पर हुई झड़प को देखते हुए, जिसमें हमारे जवानों की जान चली गई, आईपीएल गवर्निग काउंसिल ने अगले सप्ताह बैठक बुलाई है जिसमें आईपीएल संबंधी तमाम प्रायोजक करार की समीक्षा की जाएगी।"
धूमल ने हालांकि कहा था कि आईपीएल जैसे भारतीय टूर्नामेंटों के चीनी कंपनियों द्वारा प्रायोजन से देश को ही फायदा हो रहा है। बीसीसीआई को वीवो से सालाना 440 करोड़ रूपये मिलते हैं जिसके साथ पांच साल का करार 2022 में खत्म होगा।
धूमल ने कहा,‘‘जज्बाती तौर पर बात करने से तर्क पीछे रह जाता है । हमें समझना होगा कि हम चीन के हित के लिये चीनी कंपनी के सहयोग की बात कर रहे हैं या भारत के हित के लिये चीनी कंपनी से मदद ले रहे हैं।’’
उन्होंने कहा,‘‘जब हम भारत में चीनी कंपनियों को उनके उत्पाद बेचने की अनुमति देते हैं तो जो भी पैसा वे भारतीय उपभोक्ता से ले रहे हैं, उसमें से कुछ बीसीसीआई को ब्रांड प्रचार के लिये दे रहे हैं और बोर्ड भारत सरकार को 42 प्रतिशत कर चुका रहा है। इससे भारत का फायदा हो रहा है, चीन का नहीं।’’
पिछले साल सितंबर तक मोबाइल कंपनी ओप्पो भारतीय टीम की प्रायोजक थी लेकिन उसके बाद बेंगलुरू स्थित शैक्षणिक स्टार्ट अप बायजू ने चीनी कंपनी की जगह ली। धूमल ने कहा कि वह चीनी उत्पादों पर निर्भरता कम करने के पक्ष में हैं लेकिन जब तक उन्हें भारत में व्यवसाय की अनुमति है, आईपीएल जैसे भारतीय ब्रांड का उनके द्वारा प्रायोजन किये जाने में कोई बुराई नहीं है।