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Hindi News खेल क्रिकेट पुजारा ने खोला राज, ब्रिसबेन में ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों की बाउंसर से कंधा हो गया था खूनी

पुजारा ने खोला राज, ब्रिसबेन में ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों की बाउंसर से कंधा हो गया था खूनी

पुजारा ने खुलासा करते हुए बताया कि कैसे ब्रिसबेन में लगातार बाउंसर गेंद शरीर पर खाने से उनके कंधे में हल्का सा खून का धब्बा तक बन गया था।

Cheteshwar Pujara- India TV Hindi Image Source : GETTY Cheteshwar Pujara

32 साल बाद हाल ही में टीम इंडिया ने गाबा के तेज विकेट पर ऑस्ट्रेलिया को मात देकर उसके गुरूर को चकनाचूर कर दिया। इतना ही नहीं टीम इंडिया ने 4 मैचों की टेस्ट सीरीज को भी 2-1 से अपने नाम किया। ऐसे में गाबा के निर्णायक और रोमांचक मैच में भारत के चेतेश्वर पुजारा ने भी जीत के लिए अहम 211 गेंदों में 56 रनों की जुझारी पारी खेली। इस पारी के दौरान पुजारा ने कम से कम 11 बाउंसर गेंदे शरीर पर खाई जबकि एक गेंद के दौरान उनकी ऊँगली भी चोटिल हो गयी थी। जिसके बाद अब पुजारा ने खुलासा करते हुए बताया कि कैसे ब्रिसबेन में लगातार बाउंसर गेंद शरीर पर खाने से उनके कंधे में हल्का सा खून का धब्बा तक बन गया था। 

ब्रिसबेन के मैदान में 196 गेंदों में अपने करियर की सबसे धीमी फिफ्टी भी जड़ी थी। जिसके बारे में पुजारा ने ऍनडीटीवी से बातचीत में कहा, "वहाँ और बाउंसर लगने से मेरे कंधे में थोड़ा सा खून का धब्बा बन गया था। हालांकि बाद में मैंने अच्छे से रिकवर किया और अब पूरी तरह से ठीक है।"

इसके बाद पुजारा ने आगे कहा, "जब आपने हेलमेट पहना हो तो आपके पास सारी सुरक्षा होती है। लेकिन मुझे जो उंगली पर चोट लगी, वह वास्तव में दर्दनाक थी। वह सबसे मुश्किल झटका था। मुझे लगा कि मेरी उंगली टूट गई है। मुझे पहली बार मेलबर्न में नेट सत्र के दौरान उंगली पर लगी थी। जिसे मैं सिडनी ले गया। लेकिन जब ब्रिसबेन में दोबारा उसी ऊँगली पर चोट गली तो वो दर्द मेरे लिए असहनीय था।"

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बता दें कि इन तमाम गेंदों के बीच एक गेंद सीधा पुजारा कि ऊँगली पर जा लगी थी। जिस पर वो गाबा के मैदान में दरदर से कराहा उठे और मैदान में लेट गये थे। ऐसा माना जा रहा था कि शायद अब पुजारा बल्लेबाजी नहीं कर सकेंगे लेकिन उसके बाद भी उन्होंने बल्लेबाजी जारी रखी। इस तरह भारत की गाब में ऐतिहासिक जीत में अहम योगदान देने वाले पुजारा ने अंत में कहा, "जब बीच में चीजें मुश्किल होती हैं, तो आप अपने विकेट को फेंकना नहीं चाहते हैं और टीम को दबाव में रखते हैं। जब कोई लंबी पारी खेलता है, तो यह दूसरे बल्लेबाजों की मदद करता है जो आगे आने वाले होते हैं।"

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