भारत के इन 2 खिलाड़ियों को कभी वनडे क्रिकेट लायक नहीं समझा गया, दिखा दिया गया बाहर का रास्ता
भारतीय क्रिकेट टीम में खेल के तीनों फॉर्मेट में बहुत ही कम खिलाड़ियों की जगह पक्की है।
भारतीय टीम में जगह बनाना बेहद मुश्किल रहता है। लेकिन जगह बनाने के बाद वहां बने रहना उससे भी ज्यादा मुश्किल होता है। आज हम आपको उन 2 खिलाड़ियों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन पर टेस्ट स्पेशल होने का तमगा लग गया। इन तीनों खिलाड़ियों की छवि टेस्ट क्रिकेटर की बन गई हालांकि ये तीनों वनडे में भी अच्छा कर सकते थे। लेकिन इन्हें वनडे टीम के लायक नहीं समझा गया। हालांकि तीनों को वनडे टीम में कुछ मैचों के लिए शामिल तो किया गया लेकिन उतने मौके नहीं दिए गए जितने के वो हकदार थे। ये खिलाड़ी हैं चेतेश्वर पुजारा और मुरली विजय। आइए आपको बताते हैं दोनों के आंकड़े।
चेतेश्वर पुजारा: चेतेश्वर पुजारा टीम इंडिया के अहम हिस्सा हैं। लेकिन सिर्फ टेस्ट के। वनडे में उनकी कोई पूछ नहीं है। हालात इतने खराब हैं कि आईपीएल में उनके नाम तक में चर्चा नहीं की गई। पुजारा अब तक भारत के लिए 57 टेस्ट मैच खेल चुके हैं। इस दौरान उन्होंने 50.51 के औसत से 4,496 रन बनाए हैं। पुजारा के बल्ले से 14 शतक, 17 अर्धशतक निकले हैं। उनका बेस्ट स्कोर नाबाद 206 रन है। टेस्ट आंकड़े देखने के बाद लाजमी है कि कोई भी ये सोचने पर मजबूर हो जाएगा कि इस खिलाड़ी ने कितने वनडे खेले होंगे।
तो हम आपको बता दें कि 57 टेस्ट खेलने वाले पुजारा ने महज 5 वनडे खेले हैं। ये पाचों वनडे पुजारा ने बांग्लादेश और जिम्बाब्वे जैसे देशों के खिलाफ खेले हैं। 5 मैचों में पुजारा ने 10.20 के औसत से 51 रन बनाए हैं और उनका बेस्ट स्कोर 27 रन रहा है। साफ है कि किसी भी बल्लेबाज को सिर्फ 5 मैचों में मौका देकर ये परखा नहीं जा सकता कि वो इस फॉर्मेट में अच्छा नहीं कर पाएगा।
मुरली विजय: मुरली विजय का हाल भी चेतेश्वर पुजारा की तरह ही है। विजय भी 56 टेस्ट खेल चुके हैं। इस दौरान उन्होंने 40.02 के औसत से 3,802 रन बनाए हैं। विजय के बल्ले से 11 शतक और 15 अर्धशतक निकले हैं। वहीं, उनका बेस्ट 167 रन रहा है। लेकिन वनडे में उन्हें सिर्फ 17 मैच खेलने का मौका मिला है। इन मैचों में विजय ने 339 रन बनाए हैं और उन्होंने एक अर्धशतक भी लगाया है।
साफ है कि दोनों बल्लेबाजों को टेस्ट में तो भरपूर मौके मिले और दोनों ने खुद को साबित भी किया लेकिन वनडे में इन्हें वो मौके नहीं मिले जितने की मिलने चाहिए थे।