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रणजी सत्र से पूर्व पंडित ने वीसीए से पूछा, इनामी राशि का आप क्या करोगे

कमजोर माने जाने वाले खिलाड़ियों के साथ सबसे प्रतिष्ठित घरेलू क्रिकेट टूर्नामेंट को जीतना छोटी उपलब्धि नहीं है लेकिन विदर्भ के कोच चंद्रकांत पंडित इतने आश्वस्त थे कि वह इस उपलब्धि के लिए मिलने वाले पुरस्कार को लेकर पूछताछ करने लगे थे।

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इंदौर: कमजोर माने जाने वाले खिलाड़ियों के साथ भारत के सबसे प्रतिष्ठित घरेलू क्रिकेट टूर्नामेंट को जीतना छोटी उपलब्धि नहीं है लेकिन विदर्भ के कोच चंद्रकांत पंडित इतने आश्वस्त थे कि वह रणजी सत्र की शुरुआत में ही इस उपलब्धि के लिए मिलने वाले पुरस्कार को लेकर पूछताछ करने लगे थे। 

पांच दशक के प्रयास के बाद पहला रणजी ट्राफी खिताब जीतने के बाद विदर्भ क्रिकेट संघ (वीसीए) के उपाध्यक्ष प्रशांत वैद्य ने वह समय याद किया जब पिछले सत्र में अनुबंध होने के बाद पंडित ने पूछा था कि वे इनामी राशि का क्या करेंगे। वीसीए के हैरान अधिकारी ने इस पर पंडित से पूछा था कि वह किस इनामी राशि की बात कर रहे हैं? इस पर कई बार के रणजी विजेता कोच ने कहा, ‘‘वह जो रणजी ट्राफी विजेता को मिलता है।’’ 

यहां खिताबी मुकाबले में दिल्ली पर विदर्भ की नौ विकेट की जीत के बाद वैद्य ने कहा, ‘‘वह इतने आत्मविश्वास से भरे थे कि ट्राफी जीतने के बारे में सोचने लगे थे, इसलिए मैंने सोचा कि यह सत्र विदर्भ के लिए अच्छा होने वाला है। उसके (पंडित के) पहले दिन नागपुर आने के साथ ही मैंने विश्वास करना शुरू कर दिया था।’’ 

प्रथम श्रेणी कोच के रूप में पंडित का रिकार्ड शानदार है। इस पूर्व भारतीय क्रिकेटर ने कोच के रूप में तीन बार रणजी खिताब जीता और इस दौरान चार बार उनकी टीम फाइनल में पहुंची। पिछले सत्र में गुजरात के खिलाफ फाइनल में हार के बाद मुंबई ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया। मुंबई का यह नुकसान विदर्भ के लिए फायदेमंद साबित हुए क्योंकि रणजी विजेता खिलाड़ी और कोच के रूप में पंडित का अनुभव टीम के काफी काम आया। 

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