नई दिल्ली। संतोष रांगनेकर के छह महीने पहले इस्तीफा देने के बावजूद भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) के निकट भविष्य में नए मुख्य वित्तीय अधिकारी (सीएफओ) की नियुक्ति करने की संभावना नहीं है। बीसीसीआई सीईओ राहुल जोहरी को अपना इस्तीफा वापस लेने और कार्यकाल पूरा (2021) होने तक काम करने को कहा गया है लेकिन पता चला है कि आला अधिकारियों का मानना है कि सीएफओ की तुरंत नियुक्ति करने की जरूरत नहीं है क्योंकि कोषाध्यक्ष जिम्मेदारी निभा रहा है।
इस मामले की जानकारी रखने वाले बीसीसीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर पीटीआई को बताया,‘‘बीसीसीआई के जल्द ही सीएफओ की नियुक्ति करने की संभावना नहीं है। अगर आपने नया संविधान सतर्कता के साथ पढ़ा हो तो मुख्य कार्यकारी अधिकारी की नियुक्ति अनिवार्य है लेकिन ऐसा कोई जिक्र नहीं है कि सीएफओ होना चाहिए।’’
रांगनेकर की नियुक्ति प्रशासकों की समिति (सीओए) ने की थी और इसे कोषाध्यक्ष के अधिकारों को कम करने के लिए जानबूझकर उठाए गए कदम के रूप में देखा जा रहा था। बीसीसीआई का लोकतांत्रिक ढांचा बहाल होने और कोषाध्यक्ष के अधिकार बहाल होने से सीएफओ का पद अनावश्यक बन गया था। साथ ही मौजूदा स्थिति में जब खेल संस्थाओं को वित्तीय संकट का सामना करना पड़ रहा है तब बीसीसीआई के एक और अधिक वेतन वाले अधिकारी की नियुक्ति करने की संभावना नहीं है।
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खेल से जुड़ा सामान बनाने वाले कंपनी नाइकी के साथ बीसीसीआई का पोशाक प्रायोजन करार भी जल्द ही खत्म हो रहा है और ऐसे में प्रायोजन के लिए बोर्ड जल्द ही नई निविदा जारी करेगा। हाल में शीर्ष परिषद की बैठक में फैसला किया गया कि आग्रह प्रस्ताव (आरएफपी) या निविदा जल्द ही जारी की जाएगी जिससे अगले पोशाक प्रायोजक का फैसला होगा।
स्थिति की जानकारी रखने वालों का मानना है कि मौजूदा आर्थिक स्थिति में बीसीसीआई को आकर्षक करार मिलने की संभावना कम है। नाइकी 2006 में प्रायोजक के रूप में जुड़ा था और 2016 में 370 करोड़ रुपये में करार को पांच साल के लिए बढ़ाया गया था जो इस साल 30 सितंबर को खत्म हो रहा है।
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