अनिल कुंबले ने बताया, इस कारण ब्रायन लारा को गेंदबाजी करना मेरे लिए था सबसे मुश्किल
अनिल कुंबले से जब पूछा गया कि उन्हें किस बल्लेबाज के सामने सबसे ज्यादा गेंद फेंकने पर डर सा महूसस होता था। उन्होंने वेस्टइंडीज के दिग्गज बल्लेबाज ब्रायन लारा का नाम लिया।
18 साल के अपने लम्बे करियर के दौरान टीम इंडिया के दिग्गज स्पिन गेंदबाज अनिल कुंबले ने कई बल्लेबाजों के सामने निडर होकर गेंदबाजी की। इतना ही नहीं एक बार उन्होंने दिल्ली में टेस्ट क्रिकेट मैच के दौरान पाकिस्तान के खिलाफ पारी के सभी 10 विकेट लेकर इतिहास रच दिया था। इस तरह अपनी स्पिन गेंदबाजी से दुनिया भर के बल्लेबाजों को आउट करने वाले अनिल कुंबले से जब पूछा गया कि उन्हें किस बल्लेबाज के सामने सबसे ज्यादा गेंद फेंकने पर डर सा महूसस होता था। इस सवाल का जवाब देते हुए अनिल कुंबले ने वेस्टइंडीज के दिग्गज बल्लेबाज ब्रायन लारा का नाम लिया।
कुंबले ने जिम्बाब्वे के पूर्व क्रिकेटर पम्मी म्बंगवा के साथ इंटरव्यू में कहा, "उस समय कई बलेल्लेबाज थे जिन्हें गेंदबाजी करना काफी आसान नहीं होता था। लेकिन इस लिस्ट में ब्रायन लारा टॉप पर थे।"
भारत की तरफ से टेस्ट क्रिकेट (619) और वनडे (337) दोनों में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले कुंबले ने लारा की बल्लेबाजी के बारे में बताते हुए कहा, "उनके पास हर एक गेंद को खेलने के चार शॉट्स होते थे। इसलिए उनके खिलाफ गेंदबाजी करना सबसे बड़ा चैलंज था। जब भी आप सोचेंगे कि मैं उनका विकेट ले सकता हूँ। उसी समय वो अपना शॉट बदल देंगे और थर्ड मैन की तरफ आसानी से गेंद को खेल देंगे।"
इस तरह कुंबले और लारा ने एक दूसरे के खिलाफ कुल मिलाकर 14 टेस्ट मैच खेले हैं। जिसमें अनिल कुंबले उन्हें सिर्फ 5 बार आउट करने में सफल हो पाए हैं। जिसमें सबसे ख़ास पल साल 2002 में एंटीगुआ में कुबले ने टूटे हुए जबड़े के बावजूद पट्टी बांधकर गेंदबाजी की और लारा का विकेट लिया था। इस तरह 131 टेस्ट मैचों में लारा ने 11953 रन जबकि 299 वनडे मैचों में वो 10405 रन बनाकर क्रिकेट से संन्यास ले लिया था।
वहीं कुंबले की बात करें तो उन्होंने भारत की तरफ से 132 टेस्ट मैच जबकि 272 वनडे मैच खेलें। इतना ही नहीं साल 2007 और 2008 में वो टीम इंडिया के कप्तान भी रहे। इस तरह वो खुद को भाग्यशाली मानते हैं की उन्हें कभी सचिन तेंदुलकर, वीरेंद्र सहवाग, राहुल द्रविड़, वीवीएस लक्ष्मण को गेंदबाजी नहीं करनी पड़ी। क्योंकि ये सभी खिलाड़ी उनकी टीम के साथी रहे।
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इसके बारे में कुंबले ने कहा, "सौभाग्य! से उनमें से ज्यादातर मेरी टीम का हिस्सा थे। यह बहुत अच्छा था कि मेरे पास तेंदुलकर, द्रविड़, लक्ष्मण, गांगुली, सहवाग - ये सभी लोग नेट्स में थे। जिससे मुझे मैच से पहले एक शाम को ये नहीं सोचना होता था कि मैं इन्हें कल मैच में गेंदबाजी करने जा रहा हूँ।"