साउथ अफ्रीका के साल 2015 में भारत दौरे पर एबी डिविलियर्स ने टीम मैनेजमेंट को धमकी दी थी की अगर खाया जोंडो का चयन हो गया तो वो दौरा बीच में हो छोड़कर चले जाएंगे। इस बात का दावा News 24 की एक रिपोर्ट कर रही है।
साउथ अफ्रीका के न्यूज़ आउटलेट में क्रिकेट साउथ अफ्रीका के पूर्व अध्यक्ष नार्मन अरेंडसे की रिपोर्ट में इस घटना के बारे में कहा गया है। जिसमें लिखा है कि जोंडो का नाम मुंबई में खेले जाने वाले 5वें वनडे मैच से पहले वाली रात तक था। ऐसे में उन्हें डेब्यू करने और मैच से एक घंटे पहले इस तरह निकाल देना क्रिकेट साउथ अफ्रीका की चयन नीति के विपरीत था।"
डीन एल्गर को प्लेइंग इलेवन में चोटिल जीन पॉल डुमिनी की जगह मौका दिया गया था। जबकि खाया जोंडो जो कि वनडे टीम के सदस्य के रूप में जुड़े थे उन्हें टीम की प्लेइंग इलेवन में जगह नहीं मिली। एल्गर ने तब तक सिर्फ 5 वनडे मैच खेले थे जबकि इससे पहले पिछले 70 वनडे मैचों से वो साउथ अफ्रीका की वनडे टीम का प्लान नहीं थे।
इस तरह दौरे के बाद साउथ अफ्रीका के कुछ क्रिकेट खिलाड़ियों ने "ब्लैक प्लेयर्स यूनिटी" के नाम से क्रिकेट बोर्ड को एक खत लिखा था। जिसमें जोंड़ो के मामले को प्रमुख रूप से दर्शाया गया था। उन्होंने उसमें तर्क दिया था कि ब्लैक खिलाड़ियों को साउथ अफ्रीका क्रिकेट बोर्ड की नस्लभेदी नीति के तहत टीम में तो शामिल किया जाता है लेकिन वो ज्यादातर पानी पिलाते ही नजर आते हैं।
सीएसए के पूर्व अध्यक्ष और कानूनी अधिवक्ता अर्सेंदे को 2016 में इन शिकायतों को दूर करने के लिए एक कार्य दल का संयोजक बनाय था। जबकि जोंड़ो और एल्गर विवाद सोशलमीडिया में भी साउथ अफ्रीका में काफी नस्लीय विवाद के तौर पर प्रचलित हुआ था।
इस तरह साउथ अफ्रीका टीम के लिए साल 2015 काफी कष्टदायक था। उस साल की शुरुआत में विश्व कप के सेमीफाइनल में अपनी हार के बाद, ऐसी खबरें थीं कि एबी डिविलियर्स को काइल एबट की जगह इलेवन में वर्नोन फिलेंडर के साथ खेलने के लिए मजबूर होना पड़ा था। जिसकी पुष्टि एबी डिविलियर्स की ऑटोबायोग्राफी में भी देखने को मिलती है।
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