वास्तु शास्त्र के अनुसार किसी भी भवन को बनाते समय उसके शुभ-अशुभ परिणामों की तरफ विचार जरूर करना चाहिए और सुनियोजित योजना भी बनानी चाहिए। भवन के लिए भूखण्ड खरीदते समय या बनाते समय कई बार कुछ महत्वपूर्ण चीज़ों पर गौर करना छूट जाता है। इसलिए पहले से ही उसकी एक सही तरीके से योजना बना लेनी चाहिए, ताकि अधिक से अधिक विचारों पर काम किया जा सके।
वास्तु शास्त्र में आज हम बात करेंगे पूर्वमुखी भवन की विभिन्न स्थितियों में भवन निर्माण करवाते समय शुभाशुभ परिणामों के बारे में। किसी भी दिशामें भवन बनवाते समय उसके शुभ-अशुभ परिणामों के बारे में अच्छे से विचार कर लेना चाहिए| भवन की शुभ स्थिति को बनाए रखने के लिये क्या करना चाहिए और अशुभता से बचाव के लिये किन बातों का ध्यान रखना चाहिए,ये जानना बहुत जरूरी है| आज हम सबसे पहले पूर्वमुखी भवन की शुभता हेतु अपनाए जाने वाले पहलुओं पर चर्चा करेंगे|
पूर्व मुखी भवन में पूर्व और उत्तर दिशाओं में खाली स्थान हो तो भवन स्वास्थ्य और आर्थिक लाभ की दृष्टि से बहुत ही हितकारी है| लिहाजा पूर्व, उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशाओं में खाली स्थान जरूर छोड़ना चाहिए। ऐसा करने से धन और वंश के साथ-साथ स्वास्थ्य भी अच्छा बना रहेगा।
(आचार्य इंदु प्रकाश देश के जाने-माने ज्योतिषी हैं, जिन्हें वास्तु, सामुद्रिक शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र का लंबा अनुभव है। इंडिया टीवी पर आप इन्हें हर सुबह 7।30 बजे भविष्यवाणी में देखते हैं।)
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