Vastu Tips: हम जब मंदिर जाते हैं तो पूजा अर्चना के साथ ईश्वर की परिक्रमा भी करते हैं। परिक्रमा के दौरान श्रद्धालु भगवान का ध्यान करते हैं और प्रतिमा की पीठ के पास अपनी मनोकामना कहते हैं, लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए। कभी भी भगवान की पीठ को न देखें साथ ही भगवान को कभी पीछे से प्रणाम या प्रार्थना न करें। बता दें किसी भी भगवान या देवी देवताओं की पीठ को प्रणाम करने से समस्त पुण्यों का नाश हो जाता है।
ये है कहानी
वहीं भागवत कथा में एक प्रसंग में इस प्रकार बताया गया है कि जरासंध के साथ युद्ध के समय एक काल यवन नाम का राक्षस जरासंध की तरफ से युद्ध करने के लिए युद्ध स्थल में श्री कृष्ण भगवान जी से युद्ध करने आ गया। काल यवन भयानक राक्षस के अलावा सत्कर्म करने वाला भी था। श्री कृष्ण भगवान जी इस राक्षस के वध के पहले इसके समस्त सत्कर्मों को नष्ट करना चाहते थे।
सत्कर्म नष्ट होने से सिर्फ इस दुष्ट को दुष्टता के कर्मफल मिलें व उसका वध किया जा सके। इसलिये श्री कृष्ण भगवान जी मैदान छोड़ कर भागने लग गये। भगवान आगे-आगे राक्षस काल यवन पीछे-पीछे भाग रहे थे। इससे राक्षस काल यवन को भगवान की पीठ दिखती रही और उसके सभी सत्कर्मों का नाश होता रहा। भगवान श्रीकृष्ण की इस युक्ति के पीछे यह राज था कि राक्षस काल यवन के अर्जित सत्कर्मों का नाश हो जाये ताकि दुष्ट को दुष्टता का फल मिले। व उसे मारा जा सके। जब काल यवन के समस्त सत्कर्म भगवान श्री कृष्ण के पीछे-पीछे दौड़कर पीठ देखने के कारण नष्ट हो गए उसके बाद ही उसका वध संभव हो सका।
परिक्रमा करते समय ध्यान में रखें ये बात
- परिक्रमा शुरु करने के पश्चात बीच में रुकना नहीं चाहिए।
- परिक्रमा वहीं खत्म करें जहां से शुरु की गई थी।
- ध्यान रखें कि परिक्रमा बीच में रोकने से वह पूर्ण नही मानी जाती।
- परिक्रमा के दौरान किसी से बातचीत न करें।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इंडिया टीवी इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।)