घर की इस दिशा में लगाएं पारिजात का पेड़, कई वास्तु दोषों से बचेंगे आप
Vastu Tips For Parijat: पारिजात जिसे आम भाषा में हरसिंगार कहते हैं, घर के कई वास्तु दोषों को दूर कर सकता है। साथ ही ये पौधा मानसिक शांति के लिए भी अच्छा है।
पारिजात का पेड़, एक धार्मिक पेड़ है। पौराणिक मान्यताओं की मानें तो यह पेड़ समुद्र मंथन के दौरान निकला था और इसे वैकुंठ लोक में जा कर लगाया गया था। इस पेड़ को लेकर एक और मान्यता यह है कि इस पेड़ पर स्वंय माता लक्ष्मी और नारायण वास करते हैं। साथ ही इस पेड़ को स्त्री का एक सुंदर स्वरूप भी माना गया है। माना जाता है, कि ये पेड़ शरद के मौसम में और दुर्गा पूजा से पहले फूले देना शुरू करते हैं, जिसे देवी पक्ष कहा जाता है। इसलिए माना जाता है, इस पेड़ और इसके फूलों के साथ दुर्गा देवी की शक्तियां भी होती हैं। साथ ही इन फूलों को भगवान शिव पर भी चढ़ाया जाता है ताकि शिव और शक्ति की साथ में उपासना हो सके। आइए, जानते हैं इस पेड़ को लगाने का सही दिन, सही समय और इसके फायदे।
पारिजात का पेड़ कब लगाना चाहिए-Right day and time to plant parijat plant
पारिजात का पेड़ आप किसी भी शुक्रवार या फिर सोमवार को लगा सकते हैं। ये दोनों ही देवी पक्ष का दिन है जिसमें देवियों की पूजा होती है। वैसे, शुक्रवार की शाम को पारिजात का पेड़ लगाना सबसे सही समय और शुभ माना जाता है। ऐसा इसलिए कि ये लक्ष्मी की दिन और समय होता है।
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इस दिशा में लगाएं पारिजात का पेड़- Right Direction to plant parijat plant
पारिजात का पेड़ उत्तर की दिशा में लगाना सबसे शुभ माना जाता है। ये शांति और समृद्धि की दिशा मानी जाती है। इस दिशा में इस पेड़ को ऐसे रखें कि सूरज की रोशनी सुबह उठते ही इस पर पड़े यानी कि उत्तर-पश्चिम की दिशा।
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पारिजात का पेड़ लगाने के फायदे-Parijat plant benefits in hindi
पारिजात का पेड़ लगाने के फायदे कई हैं। ये जहां समृद्धि की दिशा है वहीं, ये घर के नेगेटिव एनर्जी को कम करने में भी मददगार है। इसके अलावा ये घर के लोगों को मानसिक शांति देते हैं और एक हेल्दी व लंबी उम्र देते हैं। साथ ही इस पेड़ को लगाने से घर में कई प्रकार के वास्तु दोष नहीं होते। आप इसे अपने घर के आगे लगा सकते हैं, अपने मंदिर के पास रख सकते हैं और साथ ही इसे छत पर भी रह सकते हैं।
Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इंडिया टीवी इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।