Vastu Tips: सामान्य तौर पर तो उत्तर या पूर्व दिशा में ही मुख करके पूजा-पाठ या जप किया जाता है, लेकिन कभी-कभी किसी फल की प्राप्ति के लिए अन्य दिशाओं में भी जप किया जाता है। पश्चिम दिशा की ओर मुख करके जप करने से धन, वैभव व ऐश्वर्य कामना की पूर्ति होती है। दक्षिण दिशा में मुख करके जप करने से षट्कर्मों की प्राप्ति होती है। उत्तर-पश्चिम, यानि वायव्य कोण की ओर मुख करके जप करने से शत्रु व विरोधियों पर विजय प्राप्त होती है। दक्षिण-पूर्व, यानि आग्नेय कोण में मुख करके जप करने से आकर्षण व सौंदर्य कामना की पूर्ति होती है तथा दक्षिण- पश्चिम, यानि नैऋत्य कोण में मुख करके जप करने से किसी के दर्शन की कामना पूरी करता है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार पूजा के दौरान पूर्व दिशा में मुख करके पूजा-अर्चना करना श्रेष्ठ रहता है, क्योंकि पूर्व दिशा शक्ति व शौर्य का प्रतीक है। वास्तु शास्त्र में पूजा के लिए पश्चिम की तरफ पीठ करके यानि पूर्वाभिमुख होकर बैठना ज्ञान प्राप्ति के लिए अच्छा माना जाता है। इस दिशा में उपासना करने से हमारे भीतर क्षमता और सामर्थ्य का संचार होता है, जिससे हमें अपने लक्ष्य को हासिल करने में आसानी होती है। इस दिशा में पूजा स्थल होने से घर में रहने वालों को शांति, सुकून, धन, प्रसन्नता और स्वास्थ लाभ मिलता है।
पूजा से जुड़ी इन बातों का भी रखें ध्यान
- भगवान विष्णु को अक्षत यानि चावल, मदार और धतूरे नहीं चढ़ाना चाहिए।
- सूर्य, गणेश और भैरव को लाल फूल पसंद हैं, जबकि भगवान शंकर को सफेद फूल प्रिय हैं ।
- माता दुर्गा को दूब, मदार, हरसिंगार, बेल और तगर न चढ़ाएं।
- नैवेद्य को धातु, यानि सोने, चांदी या तांबे के, पत्थर, यज्ञीय लकड़ी या मिट्टी के पात्र में चढ़ाना चाहिए।
- देवता को समर्पित करके प्रसाद को तुरंत उठा लेना चाहिए।
- चंपा और कमल को छोड़कर किसी भी फूल की कली नहीं चढ़ानी चाहिए।
(आचार्य इंदु प्रकाश देश के जाने-माने ज्योतिषी हैं, जिन्हें वास्तु, सामुद्रिक शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र का लंबा अनुभव है। इंडिया टीवी पर आप इन्हें हर सुबह 7.30 बजे भविष्यवाणी में देखते हैं।)
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