Vastu Tips: होटल निर्माण करवाते समय वास्तु के इन नियमों का रखें ध्यान, तभी दोगुनी रफ्तार से मिलेगी तरक्की
Vastu Tips: अगर आप अपना होटल का नया बिजनेस शुरू करना चाहते हैं तो इसके निर्माण से पहले वास्तु की इन बातों का खास ध्यान रखें। वरना आपको मन के मुताबिक तरक्की और मुनाफा नहीं मिलेगा।
Vastu Tips: वास्तु शास्त्र में आज हम बात करेंगे होटल या रेस्टोरेंट के बारे में। आज के टाइम में बड़े-बड़े शहरों में सड़कों के किनारे बेशुमार होटलों की लाइन लगी पड़ी है। कहीं तीन सितारा है तो कहीं पांच सितारा. यहां तक कि छोटे शहर और गांव भी अब इनकी भीड़ से अछूते नहीं है। लेकिन इनका निर्माण करते वक्त वास्तु के अनुसार कुछ बातों का ध्यान रखना बेदह जरूरी है, नहीं तो आपकी पूरी मेहनत पर पानी भी फिर सकता है, आपको बिजनेस में नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसलिए सबसे पहले हम आपको होटल के लिए सही आकार में भूमि के चुनाव के बारे में बता रहे हैं।
किसी भी निर्माण के लिए सबसे पहले भूमि का ही चुनाव किया जाता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार होटल निर्माण के लिए आयताकार या फिर वर्ग के आकार की भूमि का चुनाव करना सबसे अच्छा रहता है। होटल का निर्माण इस तरह से किया जाना चाहिए कि इसकी ऊंचाई उत्तर-पूर्व दिशा से दक्षिण-पश्चिम दिशा की तरफ थोड़ी अधिक होनी चाहिए।
होटल का मुख्य प्रवेश द्वार किस तरफ होना चाहिए?
वास्तु शास्त्र के अनुसार होटल में मुख्य द्वार के निर्माण के लिए ईशान कोण, यानि उत्तर पूर्व दिशा का कोना सबसे अच्छा माना जाता है. लेकिन अगर इस दिशा में निर्माण करवाने में कोई अड़चन आ जाए तो आप उत्तर दिशा या पूर्व दिशा का चुनाव भी कर सकते है. इसके अलावा भूखंड के आधार पर भी मुख्य द्वार के लिए दिशा का चुनाव किया जाता है। यदि भूखंड उत्तर मुखी या पूर्व मुखी है तो मुख्य द्वार का निर्माण ईशान कोण में करवाना ठीक रहता है। यदि भूखंड दक्षिण मुखी है तो मुख्य द्वार आग्नेय कोण, यानि दक्षिण-पूर्व में बनवाना चाहिए। इसके अलावा यदि भूखंड पश्चिम मुखी है तो मुख्य द्वार के लिए वायव्य कोण, यानि उत्तर-पश्चिम दिशा उत्तम रहती है।
(आचार्य इंदु प्रकाश देश के जाने-माने ज्योतिषी हैं, जिन्हें वास्तु, सामुद्रिक शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र का लंबा अनुभव है। इंडिया टीवी पर आप इन्हें हर सुबह 7.30 बजे भविष्यवाणी में देखते हैं।)
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