Hindu Temples: इस मंदिर में हनुमान जी के साथ विराजमान है एक स्त्री की प्रतिमा, जानें प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में
Hindu Temples: आज हम आपको कुछ ऐसे विश्व प्रसिद्ध हिंदू मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां हर मुराद पूरी होती है। इतना ही नहीं इन मंदिरों के पीछे की पौराणिक कथा भी काफी रोचक है।
Hindu Temples: हमारे देश में ऐसे कई मंदिर हैं जिनके दर्शन मात्र से ही भक्तों की सारी परेशानी दूर हो जाती है। आज हम आपको ऐसे ही पांच विख्यात मंदिरों के बताएंगे जो देश के अलग-अलग कोने में स्थित है। इन मंदिरों के स्थापित होने के पौराणिक कथाएं मौजूद हैं, जिसे सुनकर हर कोई हैरान हो जाता है। तो आइए जानते है इन मंदिरों के पीछे की मान्यता और विशेषता के बारें में।
काल भैरव मंदिर
उज्जैन के भैरवगढ़ में काल भैरव का मंदिर स्थित है। यह मंदिर शिप्रा नदी के किनारे बना हुआ है। यह मंदिर काल भैरव के कारण ही भैरवगढ़ के नाम से प्रसिद्ध है। मान्यता है कि प्राचीन समय में यहां के एक पहाड़ पर काल भैरव का मंदिर विराजमान था जिसे भैरव पर्वत के नाम से जाना जाता था। बाद में धीरे धीरे इस पर्वत का नाम बदलकर भैरवगढ़ हो गया | यहां पर बहुत बड़ा चमत्कार देखने को मिलता है जो की आपको और कहीं देखने को नहीं मिलेगा। चमत्कार यह है कि भगवान भैरव की मूर्ति मदिरापान करती है। इसलिए लोग अपनी उत्सुकतावश यहां पर घूमने के लिए आते हैं और यह चमत्कार अपनी आंखों से देखते हैं।
विट्ठल भगवान मंदिर
महाराष्ट्र के पंढरपुर में स्थित विठ्ठल रुकमणि का यह मंदिर श्री विष्णु और रूकमणि को समर्पित है। 13वीं शताब्दी में बना ये मंदिर भक्तों की आस्था का बड़ा केंद्र है। पंढरपुर को भक्त भू-वैकुंठ यानी पृथ्वी पर विष्णु का निवास भी कहते हैं। यहां की दैनिक पूजा में नित्य पांच तरह के संस्कार होते हैं। लोग दूर दूर से इस मंदिर में विट्ठल स्वामी के दर्शन करने आते हैं।
मोर कुटी मंदिर
मथुरा जिले के बरसाना कस्बे में राधा रानी मंदिर के कुछ ही दूरी पर स्थित है। इस स्थान के बारे में मान्यता है कि एक बार राधा रानी की मोर नृत्य देखने की इच्छा हुई तो वो गहवर वन नाम के इस स्थान पर आई। लेकिन काफी ढूंढने के बाद भी यहां कोई मोर नजर नहीं आया तब भगवान कृष्ण ने राधा रानी के मन की बात जान कर खुद मोर बन कर यहां नृत्य किया। तभी से इस स्थान को मोर कुटी कहा जाने लगा। बरसाना आने वाले सभी भक्त मोर कुटी अवश्य आकर दर्शन करते हैं।
हनुमान मंदिर
तेलंगाना के खम्मम जिले में येल्नाडु गांव में बजरंगबली का एक ऐसा मंदिर स्थित है, जहां हनुमान जी की प्रतिमा अकेली नहीं है। यहां एक स्त्री की प्रतिमा भी उनके साथ विराजित है जिसके बारे में बताया जाता है कि ये उनकी पत्नी हैं। मान्यता ये है कि इस मंदिर में दर्शन करने से दांपत्य जीवन में अगर कोई विवाद या तनाव हो तो वो दूर हो जाता है। इतना ही नहीं यहां पति-पत्नी को एक-दूसरे के साथ प्रेम पूर्वक रहने का वादा हनुमान जी के समक्ष करना पड़ता है। कहा जाता है कि पाराशर संहिता में हनुमान जी के इस विवाह की कथा बताई गयी है। अपने गुरु सूर्यदेव से 9 विद्याओं में से 5 विद्याएं प्राप्त कर चुके हनुमान जी को 4 विद्याएं पाने के लिए विवाहित होना आवश्यक था। इसी कारण हनुमान जी ने सूर्यदेव की पुत्री सुर्वचला से विवाह किया था। हालांकि विवाह के तुरंत पश्चात सुवर्चला पुन: तप में लीन हो गई थीं, जिस कारण हनुमान जी ब्रह्मचारी ही कहलाए।
प्राचीन लक्ष्मी नाथ मंदिर
प्राचीन लक्ष्मी नाथ मंदिर राजस्थान के शहर बीकानेर में स्थापित है। यह मंदिर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को समर्पित है। बताया जाता है कि मंदिर का निर्माण वर्ष 1488 में बीकानेर की स्थापना के समय किया गया था। इसी कारण इसे बीकानेर के सबसे पुराने निर्माणों में से एक बताया जाता है। इस मंदिर कि वास्तु कला यहां आने वाले हर भक्त का मन मोह लेती हैं। लोग दूर दूर से यहां माथा टेकने आते हैं।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इंडिया टीवी इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।)