Gyanvapi: काशी में स्थित ज्ञानवापी का इतिहास पौराणिक काल से माना जाता है। बात करें हिंदू धर्म ग्रंथों कि तो ज्ञानवापी का जिक्र उसमें ज्ञान के कुंड या सरोवर के रूप में किया गया है। शिव पुराण और स्कंद पुराण के काशी खंड अध्याय में ज्ञानवापी का अर्थ विस्तार पूर्वक बताया गया है। ज्ञानवापी परिसर के अंदर एक तहखाना मौजूद है जिसे व्यास जी का तहखाना कहा जाता है। हाल ही में कोर्ट के आदेश के बाद वहां पूजा-अर्चना पुनः प्रारंभ करने की अनुमति मिल गई है। आखिर ये व्यास जी का तहखाना क्या है, इसमें कौन-कौन सी मूर्तियां रखी हुई हैं और इसमें किसकी पूजा-वंदना की जाती है, आइए इसके बारे में जानते हैं।
व्यास जी के तहखाने से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
- ज्ञानवापी में कुल 10 तहखाने हैं, जिसमें से एक व्यास जी का तहखाना है। यह तहखाना लगभग 900 स्क्वायर फीट का है और इसकी ऊंचाई 7 फीट है। यह तहखाना ज्ञानवापी परिसर के दक्षिण भाग में है। काशी विश्वनाथ परिसर के गर्भगृह के पास यह तहखाना स्थित है जहां इसके ठीक सामने नंदी जी की मूर्ति भी है।
- व्यास जी के तहखाने के अंदर भगवान शिव, कुबेर, श्री गणेश, हनुमान जी और मां गंगा की अति प्राचीन मूर्तियां स्थापित हैं। इस तहखाने में व्यास परिवार लगभग 200 वर्ष पूर्व से पूजा-पाठ करता आ रहा है।
- दरअसल पंडित केदारनाथ व्यास से ही व्यास परिवार की नींव पड़ी। पंडित केदारनाथ ने कई पांडुलिपियों और ग्रंथों की रचना की थी।
- व्यास जी के तहखाने में पांच प्रहर की पूजा होती है जिसमें पूजा और राग-भोग सम्मलित है। यहां प्रातः 3 बजकर 30 मिनट पर मंगला आरती होती है, 12 बजे दोपहर में भगवान का भोग लगाया जाता है, श्रृंगार भोग शाम 4 बजे, संध्या आरती शाम 7 बजे और शयन आरती का समय रात्रि 10 बजकर 30 मिनट का है।
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