Vishkanya Yoga: क्या होता है विषकन्या योग? इसके कुंडली में होने पर कैसे प्रभाव मिलते हैं, जानें इसके उपाय भी
Vishkanya Yoga: कुंडली में कई शुभ-अशुभ योग बनते हैं और इनमें से एक है विषकन्या योग। यह योग कुंडली में कैसे बनता है और इसका प्रभाव कैसा होता है, विस्तार से जानें हमारे लेख में।
विषकन्या योग के नाम से ही जाहिर है कि किसी कन्या की कुंडली में ये बनता है। या यूं कहें कि किसी कन्या की कुंडली में होने पर ही ये ज्यादा प्रभावशाली हो जाता है। कुंडली में ग्रह-नक्षत्रों की कुछ खास स्थितियों में यह योग निर्मित होता है। यह स्थितियां क्या हैं और कुंडली में इस योग के बनने से कैसे प्रभाव देखने को मिलते हैं, आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
ऐसे बनता है विषकन्या योग
- कुंडली में यदि पांचवें और नवम भाव में क्रमश: सूर्य और मंगल हों और साथ ही शनि लग्न स्थान में हों तो विषकन्या योग बनता है।
- जब कुंडली के शुभ ग्रह त्रिक भावों (6, 8, 12 इन्हें ज्योतिष में शुभ भाव नहीं माना जाता) में हों और पहले घर में कोई पाप ग्रह जैसे, शनि, मंगल, राहु, केतु विराजमान हो तब भी विषकन्या योग बनता है।
- छठे भाव में अगर क्रूर ग्रहों शनि, राहु, केतु के साथ शुभ ग्रह बैठ जाएं यानि युति बनाएं तो भी विषकन्या योग माना जाता है।
- कुंडली के सप्तम भाव में पाप ग्रह हों और उस पर किसी पाप ग्रह की ही दृष्टि भी हो तब भी विषकन्या योग का निर्माण होता है।
- कुंडली में ग्रहों की इन स्थितियों के अलावा अगर किसी कन्या का जन्म शतभिषा नक्षत्र में द्वितीया तिथि को रविवार के दिन हो जाए तो विषकन्या योग माना जाता है।
- अगर किसी कन्या का जन्म मंगलवार के दिन, द्वादशी तिथि में शनिवार के दिन हो जाए तो विषकन्या योग बनता है।
विषकन्या योग का प्रभाव
यह कुंडली के अशुभ योगों में से एक है। इसके नाम से ही पता चलता है कि ये जातक की जिंदगी में कई परेशानियां लेकर आ सकता है। यह योग खासकर प्रेम और वैवाहिक संबंध के लिए सबसे बुरा माना जाता है। इसके बनने से पारिवारिक जीवन का सुख नहीं मिल पाता। ऐसी स्त्रियां जिनकी कुंडली में विषकन्या योग बना हो वो कुछ अच्छा करने भी जाएं तो भी समाज में उनको तिरस्कार का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि इस अशुभ योग से बचने के कई उपाय भी हैं, आइए अब इन उपायों के बारे में जानते हैं।
विषकन्या योग के बुरे प्रभाव को ऐसे करें दूर
- अगर किसी कन्या की कुंडली में विषकन्या योग बना है तो उसको शादी करने से पहले पीपल, शमी या बेर के पेड़ से शादी करनी चाहिए। ऐसा करने से विषकन्या योग का प्रभाव कम हो जाता है।
- विषकन्या योग के प्रभाव को दूर करने के लिए भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए और विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए।
- देव गुरु बृहस्पति की पूजा करने से और गुरुवार के दिन व्रत रखने से विषकन्या योग का प्रभाव दूर होने लगता है।
- कुंडली में विषकन्या योग के प्रभाव को दूर करने के लिए गुरुवार का व्रत भी लेना चाहिए।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इंडिया टीवी इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।)
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