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Hindi News धर्म Tirupati Balaji Laddu: तिरुपति बालाजी मंदिर में लड्डुओं का पहला भोग किसने चढ़ाया था? यहां पढ़ें अनोखा किस्सा

Tirupati Balaji Laddu: तिरुपति बालाजी मंदिर में लड्डुओं का पहला भोग किसने चढ़ाया था? यहां पढ़ें अनोखा किस्सा

Tirupati Balaji Laddu History: तिरुपति बालाजी मंदिर का प्रसादम लड्डू दुनिया भर में प्रसिद्ध है। इन लड्डुओं को भगवान वेंकटेश्वर के आशीर्वाद के रूप में भक्तों को दिया जाता है। तो आइए आज जानते हैं तिरुपति बालाजी मंदिर के लड्डुओं का इतिहास।

Tirupati Balaji Mandir- India TV Hindi Image Source : FILE IMAGE Tirupati Balaji Mandir

Tirupati Balaji Laddu History: तिरुपति बालाजी मंदिर दुनिया के सबसे अमीर मंदिरों में से एक माना जाता है। तिरुपति मंदिर में भक्त दिल खोल कर दान करते हैं और सोन-चांदी, पैसे का चढ़ावा चढ़ाते हैं। हर दिन लाखों की संख्या में भक्तगण तिरुपति बालाजी मंदिर आते हैं। यहां भगवान वेंकटेश्वर के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की लंबी कतार लगती है। तिरुपति बालाजी मंदिर आंध्र प्रदेश में तिरुमला की पहाड़ी पर स्थिति है। तिरुपति बालाजी मंदिर के गर्भगृह में स्थापित मूर्ति भगवान वेंकटेश्वर, वेंकटेश, तिरुपति स्वामी और तिरुपति बालाजी के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर से जुड़ी मान्यता है कि यहां जो भी भक्त अपनी मुराद लेकर आते हैं वे कभी भी खाली हाथ नहीं लौटते हैं। तिरुपति बालाजी मंदिर को लेकर लोगों में गहरी आस्था है। यही वजह है कि भक्त हर दिन लंबी लाइन से गुजरकर तिरुपति बालाजी के दर्शन करते हैं और अपनी अधूरी इच्छा भगवान वेंकटेश के सामने रखते हैं। 

तिरुपति बालाजी मंदिर का प्रसादम लड्डू का महत्व

तिरुपति बालाजी मंदिर में मिलने वाला प्रसाद लड्डू काफी प्रसिद्ध है। यह विशेष प्रसाद माना जाता है। तिरुपति बालाजी मंदिर में भगवान वेंकटेश्वर को लड्डुओं का भोग लगाया जाता है। इन लड्डुओं को अध्यात्म और श्रद्धा का प्रतीक माना जाता है। प्रसादम लड्डू को तिरुपति बालाजी की कृपा के रूप में भी देखा जाता है। तो चलिए अब जानते हैं कि आखिर सबसे पहले भगवान वेंकटेश्वर को लड्डुओं का भोग किसने अर्पित किया था और लड्डू कैसे बना तिरुपति बालाजी का महाप्रसादम।

तिरुपति बालाजी मंदिर में लड्डू को प्रसाद के रूप में सबसे पहला भोग किसने लगाया था?

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, तिरुमला की पहाड़ियों पर भगवान वेंकटेश्वर की मूर्ति स्थापित की जा रही थी, तब मंदिर के पुजारियों में इस बात को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई थी कि प्रभु वेंकेटश्वर को प्रसाद के रूप में क्या भोग लगाया जाए। उसी समय मंदिर में एक बुढ़ी मां हाथ में लड्डुओं की थाली लेकर आई और पहला भोग चढ़ाने की मांग की। तब पुजारियों नें बूढ़ी अम्मा के दिए लड्डुओं को प्रभु को अर्पित किया। इसके बाद पुजारियों ने भोग को प्रसाद के रूप में ग्रहण किया। लड्डुओं का स्वाद इतना अद्भुत और दिव्य था कि वे हैरान रह गए। तब पुजारियों ने बूढ़ी मां से लड्डू बनाने का तरीका पूछा। बूढ़ी मां ने लड्डू बनाने की विधि बताई और कुछ ही क्षणों में वहां से अंतर्ध्यान हो गईं। कहा जाता है कि खुद माता लक्ष्मी ने प्रसाद का संकेत देने के लिए सहायता की थी। तब से यह लड्डू प्रसाद के रूप में तिरुपति बालाजी मंदिर में बनाए जाने लगे।

मान्यता यह भी है कि भगवान वेंकटेश्वर ने खुद मंदिर के पुजारियों को लड्डू बनाने की विधि बताई थी। तब से ही लड्डू को भगवान वेंकटेश्वर को विशेष प्रसादम के रूप में चढ़ाया जाने लगा और इसे भक्तों में भी बांटा जाने लगा।

तिरुपति बालाजी लड्डू से जुड़ी अन्य मान्यता

एक पौराणिक कथा यह भी कि भगवान वेंकटेश्वर को देवी पद्मावती से विवाह के लिए धन की आवश्यकता थी तब उन्होंने कुबेर देवता से कर्ज लिया था। धार्मिक मान्यता है कि वेंकटेश्वर उस कर्ज को चुकाने के लिए आज भी धरती पर मौजूद हैं। तिरुपति बालाजी मंदिर में भक्तों द्वारा जो भी दान और चढ़ावा चढ़ता है उसे भगवान वेंकेटश्वर अपनी हुंडी में भरते हैं। कहते हैं कि भक्त भगवान को दान देते हैं और बदले में प्रसादम लड्डू पाते हैं। दान और चढ़ावा के बदले में भक्तों को लड्डू का प्रसाद दिया जाता है, यह भगवान तिरुपति बालाजी के आशीर्वाद के रूप में भक्तों को दिया जाता है। प्रसादम लडडू भगवान के भक्तों को उनके आशीर्वाद के रूप में दिया जाता है और बदले में भक्त अपनी श्रद्धा के अनुसार दान करते हैं।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

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