सूर्य इस दिन से होंगे दक्षिणायन, शुरू होगी देवताओं की रात, जानें इस दौरान क्या कार्य नहीं करने चाहिए
सूर्य ग्रह जून के महीने में दक्षिणायन होने जा रहे हैं। इस दौरान क्या करने करने से हमको बचना चाहिए, आइए जानते हैं विस्तार से।
सूर्य देव को ग्रहों का राजा कहा जाता है और इनकी स्थिति का असर हर किसी के जीवन पर देखे को मिलता है। साल में 12 बार सूर्य ग्रह राशि परिवर्तन करते हैं और दो बार इनकी स्थिति में परिवर्तन होता है। सूर्य देव की इन स्थितियों को उत्तरायण और दक्षिणायन के नाम से जाना जाता है, एक अयन 6 महीने का होता है। उत्तरायण वह समय काल होता है जब सूर्य ग्रह मकर राशि से मिथुन राशि में संचार करते हैं। दक्षिणायन की अवधि में सूर्य कर्क राशि से धनु राशि में संचार करते हैं। सूर्य देव साल 2024 में किस दिन से दक्षिणायन होने वाले हैं, और इस दौरान क्या करने से हमें बचना चाहिए आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
इस दिन से सूर्य होंगे दक्षिणायन
साल 2024 में सूर्य ग्रह 21 जून को दक्षिणायन हो जाएंगे। जब सूर्य ग्रह दक्षिणायन होते हैं तो उस अवधि को काल देवों की रात या देवताओं की रात्रि के रूप में जाना जाता है। सूर्य के दक्षिणायन होने के बाद ऋतु में भी परिवर्तन आता है। इसके तुरंत बाद बरसात होनी शुरू हो जाती है और साथ ही शरद और सर्दी की ऋतु भी सूर्य के दक्षिणायन के दौरान ही आती है। जून में दक्षिणायन होने के बाद सूर्य दिसंबर में वापस उत्तरायण होते हैं। आइए अब जान लेते हैं कि, सूर्य के दक्षिणायन के दौरान क्या कार्य करने चाहिए और क्या नहीं।
दक्षिणायन के दौरान नहीं करने चाहिए ये कार्य
दक्षिणायन को देवताओं की रात्रि कहा जाता है इसलिए शुभ कार्यों को करने की इस दौरान मनाही होती है।
इस समय आपको गृह प्रवेश नहीं करना चाहिए।
मुंडन और उपनयन करने के लिए भी यह समय अच्छा नहीं होता।
सूर्य के दक्षिणायन होने के बाद विवाह करना भी शुभ नहीं माना जाता।
दक्षिणायन के दौरान ये कार्य करना माना जाता है शुभ
सूर्य के दक्षिणायन के दौरान तप करने से आपको लाभ होता है।
इस दौरान व्रत और सात्विक जीवन जीने से प्रभु की कृपा प्राप्त होती है।
जो लोग तंत्र, मंत्र साधना करना चाहते हैं उनके लिए भी यह समय उचित होता है।
उत्तरायण है देवताओं का दिन
शास्त्रों में उत्तरायण को देवताओं का दिन कहा गया है। इसलिए शुभ मांगलिक कार्यों के लिए यह अवधि बहुत अच्छी होती है। हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले ज्यादातर लोग इसी दौरान शुभ मांगलिक कार्य करते हैं। उत्तरायण के दौरान दिन भी बड़े होते हैं इसलिए शुभ मांगलिक कार्य आसानी से संपन्न भी हो जाते हैं। वहीं दक्षिणायन के दौरान दिन छोटे और रातें लंबी होती हैं, साथ ही मौसम का मिजाज भी इस दौरान अच्छा नहीं रहता, इसलिए भी दक्षिणायन में मांगलिक कार्यों को करने की मनाही रहती है।