A
Hindi News धर्म श्रीकृष्ण ने शरद पूर्णिमा के दिन रचाई थी महारास लीला, शिवजी रूप बदलकर ऐसे हुए थे शामिल, 6 महीने तक हुई थी ये अद्भुत घटना

श्रीकृष्ण ने शरद पूर्णिमा के दिन रचाई थी महारास लीला, शिवजी रूप बदलकर ऐसे हुए थे शामिल, 6 महीने तक हुई थी ये अद्भुत घटना

शरद पूर्णिमा के दिन भगवान कृष्ण ने गोपियों के साथ महारास लीला रची थी। आज हम आपको इस रास लीला से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां अपने इस लेख में देंगे।

Sharad Purnima 2024- India TV Hindi Image Source : INDIA TV शरद पूर्णिमा 2024

शरद पूर्णिमा तिथि हिंदू धर्म के प्रमुख दिनों में से एक है। इस दिन चंद्रमा 16 कलाओं से परिपूर्ण होते हैं और चंद्रमा की किरणों से अमृत बरसता है। इसके साथ ही इस तिथि का संबंध भगवान कृष्ण से भी है। माना जाता है कि, इसी दिन कृष्ण भगवान ने ब्रज में गोपियों के साथ महारास लीला रचाई थी। उनकी महारास लीला में न केवल मनुष्यों ने बल्कि देवी-देवताओं ने भी रूप बदलकर हिस्सा लिया था। ऐसे में आज हम आपको बताने वाले हैं शरद पूर्णिमा के दिन हुई महारास लीला से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें।   

शरद पूर्णिमा 2024

साल 2024 में शरद पूर्णिमा तिथि का आरंभ 16 अक्टूबर की रात्रि 8 बजकर 40 मिनट पर हुआ था। शरद पूर्णिमा तिथि 17 अक्टूबर की शाम 4 बजकर 55 मिनट तक रहेगी। इसलिए भक्त रात्रि के समय चंद्र पूजन, लक्ष्मी पूजन कर सकते हैं। इसके साथ ही 17 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा का व्रत रखा जाएगा और साथ ही स्नान और दान के लिए भी यह दिन शुभ रहेगा। 

भगवान कृष्ण ने रचाई थी इस दिन रासलीला 

हिंदू ग्रंथों के अनुसार, शरद पूर्णिमा के दिन ही भगवान कृष्ण ने ब्रज में गोपियों के साथ महारास लीला रची थी। रास लीला में 16 हजार 108 गोपियों ने हिस्सा लिया था। भगवान कृष्ण की रास लीला में हिस्सा लेने के लिए देवता भी धरती पर गोपियों का रूप धारण करके आए थे। भगवान शिव को जब रास लीला के बारे में पता चला तो वो खुद को इसमें हिस्सा लेने से रोक नहीं पाए। भगवान शिव ने भगवान कृष्ण की सखी का रूप धारण करके रासलीला में हिस्सा लिया था। भगवान शिव के इसी रूप को आज भी गोपेश्वर के नाम से जाना और पूजा जाता है। 

रास लीला शुरू होने पर हुई थी ये अद्भुत घटना 

भगवान कृष्ण ने जब शरद पूर्णिमा के दिन रास लीला शुरू की, और अपनी योगमाया से 6 महीनों तक रात्रि ही रहने दी। यानि शरद पूर्णिमा से लेकर अगले 6 महीनों तक सूर्योदय नहीं हुआ। 6 महीने तक चली इस महारास लीला के बाद सूर्य देव प्रकट हुए थे। ब्रज की धरती आज भी महारास लीला की गवाही देती है। माना जाता है कि, ब्रज में स्थित चंद्र सरोवर के पास महारास लीला की गई थी, इसीलिए इस सरोवर को बेहद पवित्र माना जाता है। इसके साथ ही लोक मान्यताओं के अनुसार, कहा जाता है कि, आज भी भगवान कृष्ण रात्रि के समय निधिवन में गोपियों के संग रास रचाते हैं। इसीलिए दिन ढलने के बाद आज भी निधिवन में किसी को प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाती। 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

ये भी पढ़ें-

सूर्य 17 अक्टूबर को तुला राशि में करेंगे प्रवेश, करियर और सरकारी क्षेत्र में इन 4 राशियों को होगा लाभ, किस्मत भी देगी साथ

हथेली में इन रेखाओं को देखकर पता चलता है करियर का हाल, होंगे सफल या करेंगे संघर्ष, ऐसे करें पता