शपथ ग्रहण के लिए कौन सा मुहूर्त होता है शुभ, कब सत्ता संभालने से आती हैं शासन करने में दिक्कतें
भारतीय सभ्यता में हर शुभ कार्य से पहले मुहूर्त देखा जाता है। ऐसे ही शपथ ग्रहण करने से पहले भी शुभ मुहूर्त निकाला जाता है, इस मुहूर्त को निकालने में किन बातों पर ध्यान दिया जाता है, आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
भारत के साथ ही कई ऐसे देश हैं जहां नेता शपथ ग्रहण करने से पहले, सही मुहूर्त का चुनाव करते हैं। ऐसा माना जाता है कि सही समय पर ली गई शपथ राजनेता और सरकार को शासन करने में मदद करती है। आपने भारतीय राजनीति में अक्सर देखा होगा कि, कई नेता शपथ ग्रहण से पहले या पद संभालने से पहले शुभ मुहूर्त दिखवाते हैं। ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि, शपथ ग्रहण करने के लिए कैसे मुहूर्त निकाला जाता है।
शपथ ग्रहण मुहूर्त के लिए इन बातों का रखा जाता है ध्यान
- अगर शपथ ग्रहण के लिए शुभ मुहूर्त की बात की जाए तो सबसे पहले तिथि देखी जाती है। ज्योतिष की मानें तो शपथ ग्रहण करने के लिए कभी भी चतुर्थ, नवम, चतुर्दशी, अमावस्या और पूर्णिमा नहीं होनी चाहिए। इन तिथियों में अगर कोई नेता शपथ लेता है तो उसे सत्ता संभालने में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। कई अड़चनें शासन के दौरान आ सकती हैं और कई मौकों पर सरकार बिखर भी सकती है।
- ज्योतिष की मानें तो जो भी राजनेता सोमवार, बुधवार, गुरुवार और शुक्रवार के दिन पद की शपथ लेता है उसके कार्यकाल में उसे दिक्कतों का सामना बहुत कम करना पड़ता है। वहीं अगर मंगलवार, शनिवार, या रविवार को पद की शपथ ली जाती है तो जनता और सरकार के बीच कई संघर्ष देखने को मिल सकते हैं। कई बातों को लेकर सरकार को जनता के विरोध का सामना करना पड़ सकता है।
- शपथ लेने वाले दिन चंद्रमा की स्थिति का आकलन करना भी बेहद आवश्यक हो जाता है। इस दिन अगर चंद्रमा चतुर्थ, षष्ठम, अष्टम और द्वादश भाव में विराजमान रहता है तो इसे शुभ नहीं माना जाता है। इन स्थितियों में ली गई शपथ सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच हमेशा खींचतान का कारण बन सकती है।
- नक्षत्रों की बात की जाए तो रोहिणी, मृगशिरा, पुष्य, अनुराधा, ज्येष्ठा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण, उत्तराभाद्रपद, रेवती , अश्विनी नक्षत्रों में शपथ ग्रहण करना सबसे शुभ माना जाता है। ये नक्षत्र राजसत्ता को मजबूती प्रदान करने वाले माने जाते हैं।
- शपथ ग्रहण के लिए सबसे शुभ लग्नों की बात करें तो वृश्चिक, सिंह, वृषभ, कुंभ लग्नों में ली गई शपथ सरकार को शासन करने में मदद प्रदान करती है। ये चारों ही स्थिर लग्न माने जाते हैं इन लग्नों में ली गई शपथ के चलते सरकार भी लंबे समय तक स्थिर बनी रहती है। इन लग्नों में शपथ लेने से सरकार के संबंध पड़ोसी राज्यों या देशों से भी बेहतर बने रहते हैं।
शपथ ग्रहण करने से पहले अगर इन बातों का ध्यान रखा जाए तो, ज्योतिष के अनुसार सरकार को कई मोर्चों पर लाभ प्राप्त होते हैं। ऐसी स्थिति में सरकार के खिलाफ विरोध कम होते हैं, विपक्ष भी कई मुद्दों को लेकर साथ आ सकता है। साथ ही जनता और सरकार के बीच ऐसी स्थिति पैदा नहीं होती जिससे सरकार बैकफुट पर आए।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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