खड़े होकर पूजा करना कितना सही? जानें सबसे सटीक नियम, वरना खुद ही देंगे गरीबी को न्यौता
Puja Vidhi Niyam in Hindi: अगर आप गलत विधि और नियमों के साथ पूजा करते हैं तो इसका बहुत बुरा परिणाम भुगतना पड़ता है। चलिए जानते हैं पूजा करने का सही तरीका क्या है, साथ ही जानिए पूजा खड़े होकर करनी चाहिए या बैठकर।
Puja Vidhi Niyam in Hindi: हिंदू धर्म में पूजा-पाठ का विशेष महत्व होता है। कहा जाता है कि इसमें इतनी शक्ति होती है कि ये सभी मनोकामना पूरी कर सकती है। वहीं वास्तु में भी इसको लेकर कई नियम बताए गए हैं जिनका पालन करना बेहद जरूरी होता है, तभी पूजा संपूर्ण मानी जाती है। हालांकि जाने-अनजाने में कुछ लोग पूजा के दौरान कई तरह की गलतियां कर बैठते हैं। जिसकी वजह से उन्हें पूजा का फल नहीं मिल पाता और पूजा अधूरी रह जाती है।
ऐसे में अगर आप गलत विधि और नियमों के साथ पूजा करते हैं तो इसका बहुत बुरा परिणाम भुगतना पड़ता है। चलिए जानते हैं पूजा करने का सही तरीका क्या है, साथ ही जानिए पूजा खड़े होकर करनी चाहिए या बैठकर।
बैठकर या खड़े होकर, कैसे करें पूजा?
मान्यताओं के अनुसार, घर के मंदिर में कभी भी खड़े होकर पूजा नहीं करनी चाहिए। क्योंकि खड़े होकर पूजा करना शुभ नहीं माना जाता है साथ ही कोई लाभ भी नहीं मिलता। इसलिए घर पर पूजा-पाठ के दौरान खड़े होकर पूजा न करें। इस बात का भी ध्यान रखें कि जब भी आप पूजा-पाठ करें तो पहले फर्श पर आसन जरूर बिछाएं और इस पर बैठकर ही पूजा करें। इस बात का भी ध्यान रखें कि कभी भी बिना सिर ढके पूजा नहीं करनी चाहिए। स्त्री हो या पुरुष पूजा करते समय हमेशा सिर को ढक कर ही रखें।
क्या है पूजा करने की सही विधि?
- वास्तु शास्त्र के अनुसार पूजा के दौरान अपना मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखना चाहिए और अपने दाहिने ओर घंटी, धूप, दीप, अगरबत्ती आदि रखनी चाहिए। इस दिशा में मुख करके पूजा-अर्चना करना श्रेष्ठ माना जाता है। क्योंकि पूर्व दिशा शक्ति व शौर्य की प्रतीक है। इस दिशा में पूजा स्थल होने से घर में रहने वालों को शांति, सुकून, धन, प्रसन्नता और स्वास्थ लाभ मिलता है
- वास्तु शास्त्र के अनुसार, पूजा के दौरान अपनी बाईं ओर पूजन सामग्री जैसे फल फूल, जल का पात्र और शंख रखना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इस तरह पूजा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। इस बात का भी ध्यान रखें कि पूजा करते समय अपने माथे पर तिलक जरूर लगाएं।
- घर में पूजा स्थल हमेशा उत्तर-पूर्व दिशा में बनाना चाहिए। वास्तु में इस दिशा को शुभ माना जाता है। इस दिशा में पूजा स्थल होने से घर में रहने वालों को शांति, सुकून, धन, प्रसन्नता और स्वास्थ लाभ मिलता है। वहीं घर के अंदर रखने वाले मंदिर की ऊंचाई उसकी चौड़ाई से दुगुनी होनी चाहिए।
- घर के भीतर पूजा घर बनवाते समय इस बात का भी ध्यान रखें कि इसके नीचे या ऊपर या फिर अगल-बगल शौचालय नहीं होना चाहिए। इसके साथ ही भूलकर भी घर की सीढ़ी के नीचे पूजा घर नहीं बनाना चाहिए।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। इंडियाटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
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