Puja Niyam: क्या बिना स्नान के पूजा कर सकते हैं? जान लीजिए आखिर ऐसा करना सही है या गलत
Puja Rules: कई बार ऐसा होता है कि बहुत से लोग बिना नहाए पूजा कर लेते हैं। तो क्या ऐसा किया जाता सकता है। ज्योतिषी चिराग बेजान दारूवाला से जानिए कि क्या बिना नहाए पूजा कर सकते हैं या नहीं।
Puja Niyam: शास्त्रों के अनुसार भगवान की पूजा या मंदिर में प्रवेश करने से पहले स्नान करना एक आवश्यक प्रक्रिया मानी गई है, लेकिन कुछ परिस्थितियों में अगर आप स्नान करने में असमर्थ हैं, तो भी पूजा की जा सकती है। अगर कोई व्यक्ति बीमार है या यात्रा आदि किसी अन्य परिस्थिति के कारण स्नान करने में असमर्थ है, तो शास्त्रों के अनुसार उसे मन की शुद्धता के साथ पूजा करने की अनुमति है। ऐसी स्थिति में आप स्नान न कर पाने के बावजूद मानसिक शुद्धता के साथ पूजा कर सकते हैं।
शास्त्रों में कहा गया है कि पूजा का महत्व व्यक्ति के संकल्प और भावना में निहित है। अगर कोई व्यक्ति किसी कारणवश स्नान करने में असमर्थ है, तो भी उसके मन में पूजा के प्रति श्रद्धा और पवित्रता होनी चाहिए। अगर आप मानसिक पूजा करते हैं या मंत्र जाप करते हैं, तो इसके लिए स्नान करने की कोई अनिवार्यता नहीं है। किसी भी स्थान पर आप बिना स्नान किए मानसिक पूजा कर सकते हैं और भगवान का ध्यान भी कर सकते हैं। हालांकि मंदिर या घर में मूर्तियों को छूने के लिए आपके शरीर का शुद्ध होना जरूरी है।
पूजा के लिए स्नान का महत्व
शास्त्रों के अनुसार स्नान को शारीरिक और मानसिक शुद्धता का प्रतीक माना जाता है। स्नान के माध्यम से व्यक्ति अपने शरीर को बाह्य और आंतरिक दोनों तरह की अशुद्धियों से मुक्त करता है। शास्त्रों में पूजा से पहले स्नान करना अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है, क्योंकि इसे शारीरिक और मानसिक शुद्धता का प्रतीक माना जाता है। पूजा से पहले स्नान करने से व्यक्ति अपने शरीर और मन को बाह्य और आंतरिक अशुद्धियों से मुक्त करता है, जिससे पूजा के समय पूर्ण शुद्धता प्राप्त होती है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बिना स्नान किए व्यक्ति को पूजा का पूरा लाभ नहीं मिलता है और अशुद्ध शरीर से की गई पूजा पूरी तरह से स्वीकार नहीं होती है। इसलिए पूजा से पहले स्नान करना न केवल अनिवार्य है बल्कि इसे शुद्ध और सफल पूजा का आधार माना जाता है। स्नान की प्रक्रिया व्यक्ति को आसानी से ध्यान और भक्ति में ले जाती है, जिससे मन को शांति और शुद्धता मिलती है। शास्त्रों के अनुसार यह शुद्धता पूजा में भक्ति और समर्पण को बढ़ाती है, जिससे भगवान की कृपा प्राप्त होती है।
किन परिस्थितियों में बिना नहाए पूजा की जा सकती है
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स्नान के बाद पूजा करने के लिए यह भी महत्वपूर्ण है कि आप किस समय पूजा कर रहे हैं। अगर सुबह की बजाय रात में पूजा की जा रही है तो स्नान करना संभव नहीं है, ऐसी स्थिति में व्यक्ति हाथ-पैर धोकर और मानसिक शुद्धता के साथ पूजा कर सकता है।
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अगर किसी कारणवश अचानक पूजा करने का अवसर आ जाए और स्नान का समय न हो तो भी व्यक्ति शुद्ध भावना से पूजा कर सकता है। शास्त्रों में ऐसी स्थिति को अपवाद के रूप में स्वीकार किया गया है।
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पूजा के लिए शास्त्रों की मानें तो इस अनुष्ठान में शुद्ध तन और मन के साथ संकल्प और भक्ति का अत्यधिक महत्व है। कहा जाता है कि भगवान केवल बाहरी शुद्धता से ही नहीं बल्कि आस्था और भक्ति से भी प्रसन्न होते हैं। अगर व्यक्ति का मन सच्ची भावना से शुद्ध है और वह भगवान की पूजा में अपनी पूरी लगन के साथ लगा हुआ है तो भगवान उससे प्रसन्न होते हैं और पूजा का पूरा फल भी प्राप्त होता है।
(ज्योतिषी चिराग दारूवाला विशेषज्ञ ज्योतिषी बेजान दारूवाला के पुत्र हैं। उन्हें प्रेम, वित्त, करियर, स्वास्थ्य और व्यवसाय पर विस्तृत ज्योतिषीय भविष्यवाणियों के लिए जाना जाता है।)
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