Pitru Paksha 2024: पितृ पक्ष के पहले दिन चंद्र और अंतिम दिन सूर्य ग्रहण का साया, क्या यह है शुभ या अशुभ संकेत, यहां जानिए
Pitru Paksha 2024 and Grahan: इस साल पितृ पक्ष पर ग्रहण का साया मंडरा रहा है। पितृ पक्ष के पहले दिन चंद्र और आखिरी दिन सूर्य ग्रहण लग रहा है। तो आइए जानते हैं कि इसका क्या संकेत है।
Pitru Paksha 2024: हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का समय पितरों के लिए किए जाने वाले कर्मकांडों के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। पितृ पक्ष पूरे 15 दिनों तक चलता है, जिसमें पूर्वजों या मृत पूर्वजों के लिए पिंडदान, श्राद्ध और तर्पण आदि किया जाता है। लेकिन इस साल पितृ पक्ष के दौरान एक अजीब स्थिति बन रही है। दरअसल, इस साल पितृ पक्ष में सूर्य और चंद्र ग्रहण दोनों दिखाई देंगे। दरअसल, पितृ पक्ष की शुरुआत चंद्र ग्रहण से होगी, जबकि इसका समापन सूर्य ग्रहण से होगा, यानी पितृ पक्ष के पहले दिन चंद्र ग्रहण लगेगा, जबकि आखिरी दिन सूर्य ग्रहण लगेगा। हिंदू धर्म में ग्रहण को अशुभ माना जाता है और इस दौरान कई काम वर्जित माने जाते हैं।
श्राद्ध का क्या महत्व है?
ज्योतिष चिराग दारूवाला के अनुसार पितृ पक्ष में श्राद्ध और तर्पण करने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है। इससे जीवन में आने वाली परेशानियों से मुक्ति मिलती है। श्राद्ध न करने की स्थिति में आत्मा को पूर्ण मुक्ति नहीं मिलती। इस स्थिति में आत्मा भटकती रहती है। पितृ पक्ष में पूजा-पाठ और स्मरण करने से पूर्वज प्रसन्न होते हैं और उनकी आत्मा को शांति मिलती है। इसमें नियम और अनुशासन का पालन करने से इसका पूरा लाभ मिलता है।
पितृ पक्ष 2024 कब है?
पंचांग के अनुसार, पितृ पक्ष भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि से शुरू होकर आश्विन अमावस्या के दिन समाप्त होता है। पितृ पक्ष इस वर्ष 18 सितंबर 2024 से शुरू हो रहा है और 2 अक्टूबर को समाप्त होगा।
पितृ पक्ष में चंद्र और सूर्य ग्रहण की छाया
पितृ पक्ष के पहले दिन यानी 18 सितंबर को चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। चंद्र ग्रहण सुबह 06:12 बजे से शुरू होकर सुबह 10:17 बजे खत्म होगा। वहीं पितृ पक्ष के आखिरी दिन 2 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण लगेगा। भारतीय समय के अनुसार सूर्य ग्रहण रात 09:13 बजे से देर रात 03:17 बजे तक रहेगा।
पितृ पक्ष पर सूर्य और चंद्र ग्रहण का प्रभाव
15 दिनों के अंतराल में लगने वाला सूर्य और चंद्र ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा। इसलिए यहां इसका सूतक भी मान्य नहीं होगा। लेकिन ज्योतिष के अनुसार पितृ पक्ष पर इसका असर पड़ सकता है। क्योंकि 15 दिनों में दो ग्रहण शुभ नहीं माने जाते हैं। चंद्र ग्रहण के मोक्षकाल की समाप्ति के बाद प्रतिपदा का श्राद्ध, तपर्ण या पिंडदान का कर्म आरंभ करें। वहीं श्राद्ध पक्ष के अंतिम दिन यानी 2 अक्टूबर को आप श्राद्ध कर्म कर सकेंगे, क्योंकि ग्रहण रात्रि में लगेगा और भारत में अदृश्य होने के कारण यह ग्रहण भी मान्य नहीं होगा।
पितृ पक्ष से जुड़ी पौराणिक कथा
हिंदू धर्मग्रंथों में पितृ पक्ष से जुड़ी एक कथा वर्णित है जो इस प्रकार है, द्वापर युग में जब महाभारत के युद्ध के दौरान कर्ण की मृत्यु हो गई और उनकी आत्मा स्वर्ग पहुंच गई तो उन्हें वहां नियमित भोजन नहीं मिल रहा था। बदले में कर्ण को खाने के लिए सोना और आभूषण दिए गए। इससे उनकी आत्मा निराश हो गई और कर्ण ने इस बारे में इंद्र देव से सवाल किया कि, उन्हें असली भोजन क्यों नहीं दिया जा रहा है? तब इंद्र देव ने इसका कारण बताते हुए कहा कि, आपने अपने पूरे जीवन में ये सभी चीजें दूसरों को दान की हैं लेकिन अपने पूर्वजों और पितरों के लिए कभी कुछ नहीं किया। इसके जवाब में कर्ण ने कहा कि वह अपने पूर्वजों के बारे में नहीं जानते और यह सुनने के बाद भगवान इंद्र ने कर्ण को 15 दिनों की अवधि के लिए पृथ्वी पर वापस जाने की अनुमति दी ताकि वह अपने पूर्वजों का श्राद्ध कर्म कर सकें।
(ज्योतिषी चिराग दारूवाला विशेषज्ञ ज्योतिषी बेजान दारूवाला के पुत्र हैं। उन्हें प्रेम, वित्त, करियर, स्वास्थ्य और व्यवसाय पर विस्तृत ज्योतिषीय भविष्यवाणियों के लिए जाना जाता है।)
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