पितरों का श्राद्ध करते समय अंगूठे से दिया जाता है पानी, अनामिका उंगली पर पहनी जाती है अंगूठी, जान लें क्या है इसकी वजह
श्राद्ध कर्म करते समय जब पिंडों पर जल अर्पित किया जाता है तो अंगूठे के माध्यम से पानी दिया जाता है। साथ ही कुशा की अंगूठी उंगली पर पहनी जाती है। लेकिन इसके पीछे की वजह क्या है, इसके बारे में आज हम आपको अपने इस लेख में जानकारी देंगे।
साल 2024 में पितृ पक्ष की शुरुआत 17 सितंबर से हो रही है और 2 अक्तूबर को इसका समापन होगा। पितृपक्ष वह समय है जब हम अपने पितरों के प्रति श्रद्धा प्रकट करते हैं। इस दौरान श्राद्ध, तर्पण और पिंड दान पितरों के निमित्त किया जाता है। इन सभी कर्मों को करने के भी कुछ नियम होते हैं। ऐसे में आज हम आपको बताने वाले हैं कि, आखिर क्यों पिंडदान करते समय अंगूठे के माध्यम से पिंडों पर जल अर्पित किया जाता है और श्राद्ध कर्म करते समय अनामिका उंगली पर कुशा की अंगूठी क्यों पहनी जाती है। आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
श्राद्ध करते समय अंगूठे से इसलिए दिया जाता है जल
अग्निपुराण में वर्णित है कि, अगर आप श्राद्ध पक्ष के दौरान अंगूठे के माध्यम से पितरों को जल अर्पित करते हैं तो उनकी आत्मा को तृप्ति प्राप्त होती है। पूजा के नियमों के अनुसार, हथेली के जिस भाग पर अंगूठा स्थित होता है, वो भाग पितृ तीर्थ माना जाता है। ऐसे में जब आप पितरों को अंगूठे के माध्यम से जल अर्पित करते हैं तो, पितृ तीर्थ से होता हुआ जल पितरों के लिए बनाए गए पिंडों तक पहुंचता है। ऐसा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और उनकी आत्मा को शांति प्राप्त होती है। इसीलिए पितरों का तर्पण करते समय अंगूठे के माध्यम से जल अर्पित करना उचित माना जाता है।
अनामिका उंगली में इसलिए पहनते हैं कुशा की अंगूठी
कुशा घास को हिंदू धर्म में बेहद पवित्र माना जाता है। गरुड़ पुराण में बताया गया है कि, जब गरुड़ देव अमृत कलश लेकर स्वर्ग से आए थे तो उन्होंने कुछ समय के लिए कुशा के ऊपर यह कलश रख दिया था,तब से ही कुशा को बेहद पवि्त्र माना जाता है। यही वजह है कि, कई धार्मिक अनुष्ठानों में कुशा का इस्तेमाल किया जाता है। श्राद्ध कर्म के दौरान कुशा से अंगूठी बनाई जाती है, जिसे अनामिका उंगली (Ring Finger) में धारण किया जाता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अनामिका उंगली में तीनों देवों ब्रह्मा, विष्णु और महेश का निवास है। अनामिका के मूल भाग में भगवान शिव निवास करते हैं, मध्य भाग में विष्णु जी और अग्रभाग में ब्रह्मा जी निवास करते हैं। यानि इस उंगली को बहुत पवित्र माना जाता है, इसीलिए श्राद्ध कर्म के दौरान कुशा की अंगूठी इस उंगली पर पहनी जाती है। ऐसा करे हम यह दर्शाते हैं कि पूर्ण रूप से पवित्र होकर हम पितरों का स्मरण कर रहे हैं।
अगर आप भी अपने पितरों का श्राद्ध और तर्पण करने वाले हैं तो ऊपर बताई गई बातों का आपको भी ख्याल रखना चाहिए। कुशा की अंगूठी आपको पिंडदान करते समय धारण करनी चाहिए और साथ ही कुशा की अंगूठी भी धारण करनी चाहिए। इन नियमों का पालन करते हुए श्राद्ध करने से आपके पितृ आप पर कृपा बरसाते हैं।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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