Kumbh Mela 2025: महाकुंभ का शुभारंभ जनवरी की 13 तारीख से होने जा रहा है। नागा साधुओं के अखाड़े धीरे-धीरे प्रयागराज के संगम स्थल पर पहुंच रहे हैं। साथ ही कई श्रद्धालु भी महाकुंभ में डुबकी लगाने के लिए प्रयागराज पहुंचेंगे। महाकुंभ के दौरान पवित्र स्नान करने के साथ ही यहां स्थिति मंदिरों के दर्शन भी भक्त करते हैं। साथ ही प्रयागराज में एक ऐसा मंदिर भी है, जिसको लेकर मान्यता है कि, संगम में डुबकी लगाने का पुण्य फल भक्तों को तभी प्राप्त होता है जब इस मंदिर के दर्शन किए जाते हैं। आइए विस्तार से जानते हैं प्रयागराज के इस मंदिर के बारे में।
प्रयागराज का चमत्कारी मंदिर
जिस मंदिर के विषय में आज हम आपको बताने वाले हैं उसका नाम है नागवासुकी मंदिर। माना जाता है कि वासुकी नाग ने सृष्टि की रचना और संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। साथ ही इस मंदिर को नागों की कुंडलिनी शक्ति का प्रतीक भी माना जाता है। इस मंदिर में पूजा करने से आध्यात्मिक उन्नति व्यक्ति को प्राप्त होती है। यहां पर की गई पूजा से कालसर्प दोष से भी मुक्ति मिलती है।
समुद्र मंथन में निभाई थी महत्वपूर्ण भूमिका
सर्पराज नागवासुकी ने समुद्रमंथन के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। देवताओं और असुरों ने रस्सी के रूप में समुद्र मंथन में भाग लिया था। माना जाता है कि, मंथन के दौरान शरीर के छिल जाने पर नागवासुकी ने प्रयागराज के त्रिवेश संगम में स्नान करके ही घावों की पीड़ा से मुक्ति पायी थी। फिर यहीं पर वासुकी नाग ने विश्राम किया था। बाद में देवताओं के आग्रह पर यहीं पर वासुकी नाग ने निवास करने का निर्णय लिया।
इसलिए महाकुंभ स्नान के बाद दर्शन जरूरी
जब देवताओं के कहने पर वासुकी यहां रुके तो उन्होंने इसके लिए एक शर्त भी रखी। उन्होंने कहा कि संगम में स्नान के बाद भक्तों द्वारा मेरे दर्शन करना अनिवार्य होगा। इसलिए माना जाता है कि, महाकुंभ के दौरान भी स्नान करने के बाद नागवासुकी के दर्शन अवश्य करने चाहिए, इसके बाद ही आपको पवित्र स्नान का शुभ फल प्राप्त होता है।
नागवासुकी मंदिर में वासुकी जी के भव्य मूर्ति स्थित है। गंगा नदी के किनारे बसा यह मंदिर आध्यात्मिकता का भी प्रमुख केंद्र है। यहां कालसर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए पूजा अर्चना भी की जाती है। महाकुंभ के साथ ही नाग पंचमी, सावन आदि प्रमुख मौकों पर भी यहां भक्तों का तांता लगा रहता है।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
ये भी पढ़ें-
Akhada Mahakumbh 2025: कौन सा अखाड़ा 2025 के महाकुंभ में सबसे पहले डुबकी लगाएगा, स्नान के दौरान कौन करेगा सबसे पहले संगम में प्रवेश? जानें
Mahakumbh 2025: महाकुंभ में स्नान के बाद इस शक्तिपीठ के करें दर्शन, यहां पालने के रूप में की जाती है माता की पूजा