Mahakumbh 2025: क्या महाकुंभ करेगा सनातन को एकजुट? 'सत्य सनातन' में आचार्य देवकी नंदन ठाकुर ने कही ये बात
Mahakumbh 2025: महाकुंभ कॉन्क्लेव में आचार्य देवकी नंदन ठाकुर ने रखी अपनी बात।
Mahakumbh 2025: महाकुंभ 2025 के खास मौके पर इंडिया टीवी के स्पेशल प्रोग्राम 'सत्य सनातन' में आचार्य देवकीनंदन ठाकुर ने कई अहम मुद्दों पर बात की। उन्होंने बताया कि क्या महाकुंभ के जमघट से सनातन एकजुट होगा। उन्होंने यह भी बताया कि जब महाकुंभ में सब निहित है तो मुसलमान वर्जित क्यों हैं?
महाकुंभ क्या है?
देवकीनंदन ठाकुर से जब पूछा गया कि महाकुंभ क्या है और इसका क्या महत्व है, तो उन्होंने जवाब दिया कि महाकुंभ कम देकर ज्यादा पाने का पावन पर्व है। महाकुंभ में शामिल होकर हर व्यक्ति पाप से तो मुक्ति पाता ही है साथ ही उसे आध्यात्मिक उन्नति भी मिलती है।
क्या अन्य धर्म के लोगों को भी करना चाहिए महाकुंभ स्नान?
महाकुंभ स्नान को लेकर ठाकुर ने कहा कि, जो लोग हिंदू धर्म में आस्था नहीं रखते उनके लिए इस स्नान का कोई महत्व नहीं है। आगे उन्होंने कहा कि, जो लोग महाभारत को नहीं मानते, जो लोग नहीं मानते कि कृष्ण हुए हैं, राम हुए हैं उन्हें महाकुंभ स्नान नहीं करना चाहिए। देवकीनंदन जी ने कहा कि अगर आप सनातन धर्म में आस्थावान हैं आप इसकी रीति-निति को मानते हैं तो आपका स्वागत है, लेकिन अगर आप सनातन को नहीं मानते तो महाकुुंभ में शामिल होने का अर्थ नहीं है। इसीलिए मुस्लिम समुदाय को लेकर उन्होंने कहा कि, उनके लिए कुंभ वर्जित है।
क्या सनातन बोर्ड होना चाहिए?
सनातन बोर्ड को लेकर देवकीनंदन ठाकुर ने कहा कि, जब एक अलग देश बनाने के बावजूद भी वक्फ बोर्ड हो सकता है तो इस देश में सनातन बोर्ड क्यों नहीं होना चाहिए। सनातन बोर्ड ये सुनिश्चित करेगा कि, किस मंदिर में कौन आएगा कौन नहीं। किसी भी सरकारी अधिकारी का इसमें कोई व्यवधान नहीं होना चाहिए। शंकराचार्य, मंदिरों के नीतियां तय करेंगे। सनातन बोर्ड न केवल मंदिरों की सुरक्षा बल्कि हिंदू धर्म के हितों की भी सुरक्षा करेगा।
महाकुंभ में लगेगी धर्म संसद
कुंभ मेले के दौरान सनातन धर्म की संसद होने जा रही है। इस पर देवकीनंदन ठाकुर ने कहा कि, इस संसद का मकसद किसी को परेशान करना नहीं है। ये संसद बहुत शांतिपूर्ण तरीके से पूरी होगी। समाज के हित के लिए ये संसद लगेगी। हम ये सुनिश्चित करने की कोशिश करेंगे कि, देवी-देवताओं का अपमान न हो सनातन पर अपशब्द न कहे जाएं। इस धर्म संसद के जरिये हम विश्व कल्याण करने का प्रयास करेंगे।
धर्म का नाश कभी नहीं होता
धर्म को लेकर अपना बात स्पष्ट करते हुए देवकीनंदन कहते हैं कि धर्म का कभी नाश नहीं होता। धर्म के खिलाफ बात करने वाले मिट जाते हैं लेकिन धर्म नहीं मिटता। उन्होंने कहा कि दुर्योधन, रावण, कंश ने भी धर्म के विरुद्ध कार्य किया लेकिन वो भी मिट गए।