Shrimad Bhagwat Geeta and Shrimad bhagwat Difference: श्रीमद् भागवत को अक्सर भगवद गीता समझ लिया जाता है,क्योंकि भगवद और भागवत दोनों शब्द एक जैसे ही सुनाई देते है लेकिन इन दोनों में बहुत बड़ा अंतर होता है, दोनों ग्रंथ वेद व्यास द्वारा लिखे गए हैं। हालांकि भगवद गीता श्रीमद् भागवत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है लेकिन दोनों ग्रंथ पूरी तरह से अलग हैं। इस युग के बहुत से लोग वैदिक ग्रंथों या हिंदू धर्मग्रंथों के बारे में ज्यादातर नहीं जानते हैं। इस पीढ़ी के बीच एक आम भ्रम भगवद गीता और श्रीमद्भागवतम के बीच के अंतर को लेकर है। श्रीमद् भागवत को आम तौर पर भगवद गीता के समान ही समझ लिया जाता है। श्रीमद् भागवत को हिंदू धर्म के 18 पुराणों में से एक, भागवत पुराण के नाम से जाना जाता है।
भगवद गीता: यह 700 श्लोकों का एक संक्षिप्त ग्रंथ है, जो महाभारत के भीष्म पर्व का हिस्सा है। यह अर्जुन और भगवान श्रीकृष्ण के बीच संवाद के रूप में प्रस्तुत किया गया है।
श्रीमद् भागवत: यह एक विस्तृत ग्रंथ है, जिसमें 12 स्कंध (खंड) और 18,000 श्लोक हैं। यह मुख्य रूप से भगवान श्रीकृष्ण के जीवन और लीलाओं का वर्णन करता है।
उद्देश्य-
भगवद गीता: इसका मुख्य उद्देश्य जीवन के नैतिक और दार्शनिक पहलुओं को समझाना है। इसमें कर्म, भक्ति, ज्ञान और योग के विभिन्न मार्गों का वर्णन है।
श्रीमद् भागवत: यह भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति और उनके चमत्कारों पर केंद्रित है। इसमें भक्ति योग और भगवान की लीलाओं का गहन विवरण है।
भक्ति का स्तर-
भगवद गीता: यह भक्ति को एक मार्ग के रूप में प्रस्तुत करती है लेकिन इसमें ज्ञान और कर्म का भी महत्वपूर्ण स्थान है।
श्रीमद् भागवत: भक्ति का एक उच्चतम स्तर प्रस्तुत करता है, जिसमें भगवान की प्रेमपूर्ण भक्ति और उनके प्रति समर्पण का वर्णन है।
(ज्योतिषी चिराग दारूवाला विशेषज्ञ ज्योतिषी बेजान दारूवाला के पुत्र हैं। उन्हें प्रेम, वित्त, करियर, स्वास्थ्य और व्यवसाय पर विस्तृत ज्योतिषीय भविष्यवाणियों के लिए जाना जाता है।)
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