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Hindi News धर्म गुरु ने वृषभ राशि में शुरू की वक्री चाल, साल की अंतिम तिमाही इन 3 राशियों के लिए हो सकती है चुनौतीपूर्ण

गुरु ने वृषभ राशि में शुरू की वक्री चाल, साल की अंतिम तिमाही इन 3 राशियों के लिए हो सकती है चुनौतीपूर्ण

गुरु ग्रह 9 अक्टूबर से वृषभ राशि में वक्री गति करेंगे। अगले साल 4 फरवरी तक गुरु इसी स्थिति में रहेंगे। गुरु के इस वक्री के दौरान किन राशियों को सावधानी बरतनी चाहिए, आइए जानते हैं।

Jupiter Retrograde - India TV Hindi Image Source : SOCIAL गुरु ग्रह का वक्री

गुरु ग्रह 9 अक्टूबर को वृषभ राशि में वक्री गति शुरू कर चुके हैं। 9 अक्टूबर को दोपहर लगभग 12 बजकर 57 मिनट पर गुरु ग्रह वक्री गति करना शुरू कर चुके हैं। अब 4 फरवरी 2024 तक गुरु वृषभ राशि में वक्री अवस्था में ही रहेंगे।  भारतीय ज्योतिष के अनुसार गुरु की दिशा उत्तर-पूर्व है, रंग पीला है और पंच तत्वों में इसका संबंध आकाश तत्व से है। जन्मपत्रिका में किसी स्थान पर गुरु के होने से संतान, विद्या, घर और स्वास्थ्य आदि विषयों पर विचार किया जाता है। गुरु का एक चरित्र है- स्थान हानि करो जीवा। यानि गुरु जहां बैठता है, उस स्थान की हानि करता है और जहां देखता है, उस स्थान की वृद्धि करता है। ऐसे में गुरु का गति बदलना ज्योतिष में बेहद अहम माना जाता है। आइए जान लेते हैं कि, गुरु के वक्री होने के बाद किन राशियों के जीवन में चुनौतियां आ सकती हैं, और क्या उपाय करने े इनको लाभ होगा। 

मिथुन राशि
गुरु आपके बारहवें स्थान पर वक्री हुये है। जन्मपत्रिका के बारहवें स्थान का सम्बन्ध आपके व्यय तथा शय्या सुख से है। वक्री गुरु के इस गोचर के प्रभाव से आपको शय्या सुख मिलेगा तो प्राप्त हो सकता है, लेकिन आपकी तरक्की इस बात पर सुनिश्चित करेगी कि दूसरों के प्रति आपका व्यवहार कैसा होगा। आपको अपने खर्चों पर कंट्रोल रखना चाहिए, सही बजट प्लान बनाकर नहीं चलेंगे तो परेशानियां बढ़ सकती हैं। लिहाजा गुरु के शुभ फल सुनिश्चित करने के लिये- अपने माथे पर केसर या हल्दी का तिलक लगाएं।  

तुला राशि
गुरु आपके आठवें स्थान पर वक्री हुए है। जन्म पत्रिका के आठवें स्थान का सम्बन्ध हमारी आयु से है। वक्री गुरु के इस गोचर से आप इस दौरान थोड़ी दुविधा में फंसे रहेंगे। साथ ही आपको अपनी सेहत का ध्यान रखने की भी जरूरत है। इस दौरान आप स्वतंत्र विचारों वाले होंगे, लेकिन सांसारिक सुख पाने के लिये आपको अपनी तरफ से कोशिशें करनी पड़ेंगी। अतः गुरु के शुभ फल सुनिश्चित करने के लिये- घर पर आये साधु या जरूरतमंद को कुछ दान जरूर दें

धनु राशि
गुरु आपके छठे स्थान पर वक्री हुये है। जन्मपत्रिका के छठे स्थान का सम्बन्ध हमारे मित्र, शत्रु तथा स्वास्थ्य से है। वक्री गुरु के इस गोचर से आपका स्वास्थ्य अच्छा बना रहेगा। शत्रु पक्ष आप पर हावी होने का प्रयास करेगा, इसलिए सावधानी आपको बरतनी होगी। राज की बातें किसी के साथ भी साझा न करें। आपके पिता और संतान को अपनी तरक्की के लिये कोशिशें जारी रखनी होंगी। नए लोगों से दोस्ती करते वक्त हर पहलू को अच्छे से समझना आपके लिये बहुत जरूरी होगा। लिहाजा गुरु के अशुभ प्रभावों से बचने के लिये-छोटी कन्याओं को कुछ न कुछ गिफ्ट करते रहें और पीपल की जड़ में पानी डालें। 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

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