9 अक्टूबर से गुरु चलेंगे वक्री चाल, ये 5 राशियां पाएंगी बड़ा धन लाभ, परिवार में बढ़ेगी सुख-समृद्धि
गुरु ग्रह 9 अक्टूबर से लेकर फरवरी के पहले हफ्ते तक वृषभ राशि में वक्री गति करेंगे। गुरु का वक्री होना किन राशियों के लिए फायदेमंद रह सकता है, आइए जानते हैं।
ज्योतिष में गुरु को शुभ ग्रह की संज्ञा दी जाती है। जब भी यह ग्रह कुंडली में मजबूत स्थिति में होता है तो जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति व्यक्ति को होती है। जब भी गुरु की चाल बदलती है, तो इसका असर सभी राशियों पर देखने को मिलता है। 9 अक्टूबर को यही गुरु ग्रह वृषभ राशि में वक्री गति शुरू कर देंगे, और फरवरी 2025 तक इसी स्थिति में रहेंगे। गुरु की वक्री चाल से किन राशियों को फायदा मिल सकता है। आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
वृषभ राशि
वक्री गुरु वृषभ राशि के जातकों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लेकर आ सकते हैं। गुरु आपके लग्न, यानि पहले स्थान पर वक्री हुए है। जन्मपत्रिका में लग्न यानि पहले स्थान का सम्बन्ध हमारे शरीर तथा मुख से है। वक्री गुरु के इस गोचर से आपकी आर्थिक स्थिति अच्छी रहेगी। आपका अच्छा व्यवहार आपको तरक्की की राह पर ले जायेगा। किसी मुकदमे या वाद-विवाद में अपने पिता या पिता समान किसी व्यक्ति की सलाह लेना आपके लिये बेहतर होगा। लिहाजा गुरु के शुभ फल सुनिश्चित करने के लिये-महिलाओं का सम्मान करें।
कर्क राशि
गुरु आपके ग्यारहवें स्थान पर वक्री हुये है। जन्मपत्रिका के ग्यारहवें स्थान का सम्बन्ध हमारे आय तथा इच्छाओं की पूर्ति से होता है। वक्री गुरु के इस गोचर से आपका समय खुशनुमा रहेगा। आपकी आमदनी बढ़ेगी और कामनाओं की पूर्ति होगी, साथ ही आपको उच्च पद की प्राप्ति होगी। आपको पिता की सम्पत्ति का भी लाभ मिलेगा। लिहाजा गुरु के शुभ फल सुनिश्चित करने के लिये- परिवार में जब भी किसी को जरूरत पड़े, उनकी मदद जरूर करें।
सिंह राशि
गुरु आपके दसवें स्थान पर वक्री हुये है। जन्मपत्रिका के दसवें स्थान का सम्बन्ध हमारे करियर, राज्य तथा पिता से होता है। वक्री गुरु के इस गोचर के प्रभाव से अपने प्रयासों से सफल होंगे। करियर में आ रही समस्याएं समाप्त होंगी। आपके पिता को व्यापार में लाभ होगा। सोने-चांदी या कपड़ा व्यापार से जुड़े लोगों को विशेष लाभ होगा । लिहाजा गुरु के शुभ फल बनाये रखने के लिए- इस दौरान अपना सिर ढंककर रखें।
कन्या राशि
गुरु आपके नवें स्थान पर वक्री हुये है। जन्मपत्रिका के नौवें स्थान का सम्बन्ध हमारे भाग्य से होता है। वक्री गुरु के इस गोचर के प्रभाव से आपके भाग्य की गति ठीक रहेगी। साथ ही आप अपनी बात के पक्के होंगे और अपनी योग्यता के बल पर दूसरों के बीच लोकप्रिय होंगे। लिहाजा गुरु के शुभ फल बनाये रखने के लिये- प्रतिदिन मन्दिर में माथा टेकें।
मकर राशि
गुरु आपके पांचवें स्थान पर वक्री हुये है। जन्मपत्रिका के पांचवे स्थान का सम्बन्ध हमारे संतान, बुद्धि, विवेक और रोमांस से है। वक्री गुरु के इस गोचर से समाज में आपको मान-सम्मान मिलेगा। आपके संतान को कोई सफलता मिलेगी। आपका घर बच्चों की किलकारियों से गुंजेगा । लिहाजा गुरु के शुभ फल बनाये रखने के लिये- श्री गणेश की उपासना करें और धार्मिक कामों के लिये सहयोग देते रहें।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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