धंस रहा जोशीमठ... क्या बद्रीनाथ का रास्ता हो जाएगा बंद? क्या सच होगी सालों पहले की गई भविष्यवाणी?
जोशीमठ में घरों, सड़कों और खेतों में दरारें लगातार बढ़ रही हैं। इतना ही नहीं यहां पर जमीन से अचानक पानी भी निकलने लगा है। इस बीच एक सदियों पुरानी भविष्यवाणी की चर्चा खूब हो रही है। आइए जानते हैं।
Joshimath Crisis: उत्तराखंड के जोशीमठ में आई दरारें लोगों की चिंता बढ़ा दी हैं। लोग अपने घरों को खाली कर राहत शिविरों में रहने को मजबूर हो रहे हैं। इन दरारों की वजह से कई लोग बेघर हो चुके हैं। इस बीच जोशीमठ को लेकर एक सदियों पुरानी भविष्यवाणी की खूब चर्चा हो रही है। यह भविष्यवाणी जोशीमठ और आसपास के गांवों में सदियों से लोग एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को बताते आ रहे हैं। स्थानीय लोगों की मानें तो जोशीमठ के रास्ते बद्रीनाथ मंदिर पहुंचना दुर्गम हो जाएगा। क्योंकि जोशीमठ को बद्रीनाथ धाम का प्रवेश द्वार और एकमात्र मार्ग माना जाता है। आइए इसके बारे में जानते हैं विस्तार से।
बद्रीनाथ धाम हो जाएंगे लुप्त?
इस भविष्यवाणी का उल्लेख प्राचीन ग्रंथ 'सनथ संहिता' में भी किया गया है। इसमें कहा गया है कि जोशीमठ में नरसिंह की मूर्ति का हाथ गिर जाएगा। विष्णुप्रयाग के पास जय और विजय के पहाड़ ढह जाएंगे और बद्रीनाथ का वर्तमान मंदिर दुर्गम हो जाएगा। ऐसे में इस मंदिर में भगवान विष्णु के बदरीनारायण स्वरूप की पूजा की जाएगी। दरअसल, जोशीमठ में भगवान नरसिंह का मंदिर है। कहा जाता है कि नरसिंह भगवान की मूर्ति की दाहिनी भुजा के कारण बदरीनाथ धाम लुप्त हो जाएगा। क्योंकि भगवान नरसिंह की मूर्ति में हर साल बदलाव हो रहा है। उनकी मूर्ति का हाथ काफी पतला हो गया है। बता दें कि भगवान नरसिंह को भगवान विष्णु के अवतारों में एक माना गया है। हालांकि, अभी तक यह गिरा नहीं है।
जोशीमठ में बदल रहे हैं हालात
जोशीमठ में स्थिति लगातार बदल रही है जिसके बाद लोग सदियों पुरानी भविष्यवाणी की बात कर रहे हैं। बद्रीनाथ धाम को लेकर लोगों के मन में कई तरह के सवाल उठने लगे हैं। वहीं जोशीमठ में भगवान नरसिंह मंदिर के मुख्य पुजारी संजय प्रसाद डिमरी ने बताया कि स्थानीय लोगों को लगता है कि शायद देवता नाराज हैं। इसलिए, पवित्र शहर में ऐसी घटनाएं सामने आनी शुरू हुई हैं।
ये पहाड़ के ढहने की भी भविष्यवाणी
पुजारी ने बताया कि दो पहाड़ों के रूप में जय और विजय के ढहने की भी भविष्यवाणी की गई है। जिसके बाद भगवान बदरीनाथ के वर्तमान मंदिर तक पहुंच पाना मुश्किल हो जाएगा। क्योंकि जोशीमठ से बद्रीनाथ धाम 45 केवल किलोमीटर दूर है। पुजारी ने कहा कि नरसिंह मंदिर की स्थापना आठवीं सदी में आदि शंकराचार्य ने की थी। इस मंदिर में भगवान विष्णु अपने शांत अवतार में हैं।
डिस्क्लेमर - ये आर्टिकल जन सामान्य सूचनाओं और लोकोक्तियों पर आधारित है। इंडिया टीवी इसकी सत्यता की पुष्टि नहीं करता।
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